प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख पहल ‘परीक्षा पे चर्चा’ (PPC) को ”एक महीने में नागरिक सहभागिता मंच पर सर्वाधिक पंजीकरण” के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार 2025 में आयोजित इसके आठवें संस्करण में 3.53 करोड़ वैध पंजीकरण के अभूतपूर्व रिकॉर्ड को मान्यता देता है।
‘परीक्षा पे चर्चा’ का महत्व
2018 से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा माईगव के सहयोग से आयोजित ‘परीक्षा पे चर्चा’ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किया गया एक अनूठा वैश्विक मंच है। इस मंच पर वे छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ सीधा संवाद करते हैं। यह पहल परीक्षा के समय को सकारात्मकता, तैयारी और उद्देश्यपूर्ण शिक्षा का उत्सव बनाती है, जिससे परीक्षाएं तनाव का कारण न होकर प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।
समारोह के दौरान कई शख्सियत रहे मौजूद
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का आधिकारिक प्रमाण पत्र नई दिल्ली में एक विशेष समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी, रेलवे और सूचना एवं प्रसारण), राज्य मंत्री जितिन प्रसाद, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, माईगव के सीईओ और अन्य प्रमुख हितधारक मौजूद थे। रिकॉर्ड की घोषणा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक ऋषि नाथ ने की।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में ‘परीक्षा पे चर्चा’ ने परीक्षा प्रणाली को एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण के रूप में नया रूप दिया है, जिसमें तनाव को सीखने के उत्सव में बदला गया है। पीपीसी 2025 को 21 करोड़ से अधिक लोगों ने विभिन्न मीडिया मंचों पर देखा, जो देश के समावेशी और समग्र शिक्षा के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता और विकसित भारत के विजन को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को एकजुट कर तनावमुक्त और कल्याणकारी शिक्षा को बढ़ावा देने वाली अनूठी पहल बताया। उन्होंने कहा कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड इस बात का सबूत है कि लोगों का इस कार्यक्रम पर अटूट विश्वास है।जितिन प्रसाद ने कहा कि इस पहल ने तकनीक के माध्यम से जनभागीदारी को बढ़ाया और पीपीसी की पहुंच को राष्ट्रीय स्तर तक विस्तारित किया।
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बेहतर शिक्षा पर जोर देती है, जो रट्टा-शिक्षा से हटकर अनुभव-आधारित और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करती है। इस दिशा में ‘परीक्षा पे चर्चा’ अब एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन चुका है, जो छात्रों को आत्म-अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत विकास के अवसर प्रदान करता है।