नई दिल्ली।
देश की राजधानी स्थित नेशनल जूलॉजिकल पार्क (दिल्ली चिड़ियाघर) से एक सुखद खबर सामने आई है। यहां मौजूद रॉयल बंगाल टाइग्रेस ‘अदिति’ ने 6 नन्हे शावकों को जन्म दिया है। यह न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए उत्साहजनक खबर है, बल्कि बाघ संरक्षण कार्यक्रमों के लिहाज से भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
अदिति का पहला प्रजनन, 6 में से 5 शावक पूरी तरह स्वस्थ
चिड़ियाघर प्रशासन के अनुसार, 7 वर्षीय बाघिन अदिति ने सुबह 9 से 11 बजे के बीच छह शावकों को जन्म दिया। हालांकि इनमें से एक शावक थोड़ा कमजोर बताया जा रहा है, लेकिन बाकी पांच पूरी तरह स्वस्थ हैं।
यह अदिति का पहला प्रजनन है। उसकी जोड़ी व्हाइट टाइगर ‘विजय’ से बनाई गई थी। वर्तमान में सभी शावक पीले रंग के हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे उनकी आंखें खुलेंगी और वे बड़े होंगे, कुछ का रंग सफेद में बदल सकता है, क्योंकि विजय एक शुद्ध श्वेत बाघ है।
⚕️ चाक-चौबंद निगरानी में हैं मां और बच्चे
शावकों के जन्म के बाद से ही जू कीपर की एक विशेष टीम उनकी और अदिति की सेहत पर लगातार नजर बनाए हुए है। चिड़ियाघर प्रशासन ने सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को प्राथमिकता पर रखते हुए उनके एनक्लोजर के आसपास विशेष निगरानी की व्यवस्था की है। फिलहाल, उन्हें आम जनता के लिए प्रदर्शित नहीं किया गया है।
जंगलों से दिल्ली तक का सफर: रेस्क्यू से प्रजनन तक
अदिति को महाराष्ट्र के नागपुर स्थित गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर से दिल्ली लाया गया था। साल 2021 में लाए गए अदिति और सिद्धि — दोनों बाघिनें वाइल्ड कैप्चर हैं, जिन्हें तीन साल की उम्र में जंगल से बचाकर रेस्क्यू किया गया था।
दिल्ली आने के बाद उन्हें खास देखरेख में रखा गया और प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया गया, जिसका यह सुखद परिणाम अब देखने को मिला है।
बीते साल भी मिली थी खुशखबरी, लेकिन दुखद मोड़ के साथ
दिल्ली जू में यह पहला मौका नहीं है जब किसी बाघिन ने एक साथ 6 शावकों को जन्म दिया हो। साल 2023 में बाघिन ‘सिद्धि’ ने भी 6 शावकों को जन्म दिया था, लेकिन दुर्भाग्यवश उनमें से चार की मृत्यु हो गई थी, और केवल दो शावक ही जीवित बच पाए।
इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए इस बार चिड़ियाघर प्रशासन पूरी तैयारी और सतर्कता के साथ शावकों की परवरिश में जुटा हुआ है।
जानिए: बाघ शावकों के जीवन की शुरुआत कैसी होती है
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एक बाघिन आमतौर पर एक बार में 2 से 6 शावकों को जन्म देती है।
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नवजात शावकों का वजन 785 ग्राम से 1610 ग्राम तक होता है – यानी एक मानवीय शिशु से भी हल्के।
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जन्म के समय शावक अंधे होते हैं और उनकी आंखें 6 से 12 दिन में खुलती हैं।
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करीब 6 से 8 हफ्तों में उन्हें पूरी दृष्टि प्राप्त होती है।
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वे लगभग 2 साल तक मां के साथ रहते हैं, इस दौरान वे शिकार करना, जीना और बचाव के तरीके सीखते हैं।
बाघों की संख्या में उम्मीद की नई किरण
भारत में बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रयासों के तहत चिड़ियाघरों और ब्रीडिंग सेंटरों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती जा रही है। दिल्ली चिड़ियाघर में अदिति द्वारा 6 शावकों को जन्म देना, इस दिशा में एक प्रेरणादायक उपलब्धि है।
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है और इसे बचाने के लिए “प्रोजेक्ट टाइगर” जैसी योजनाएं वर्षों से चल रही हैं। अब ऐसे सफल प्रजनन से इन प्रयासों को नई ताकत और गति मिल रही है।