नई दिल्ली। भारत में डिजिटल पेमेंट की रफ्तार लगातार तेज हो रही है। SBI की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि अगस्त 2025 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से रोज़ाना औसतन ₹90,446 करोड़ का लेन-देन हुआ। जनवरी 2025 में यह आंकड़ा ₹75,743 करोड़ था, यानी सिर्फ सात महीनों में 20% से अधिक की बढ़ोतरी।
रोज़ 67 करोड़ ट्रांजैक्शन
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अगस्त 2025 में रोज़ाना औसतन 675 मिलियन (67.5 करोड़) UPI ट्रांजैक्शन हुए।
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जनवरी 2025 में यह आंकड़ा 548 मिलियन (54.8 करोड़) था।
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बढ़ोतरी यह दिखाती है कि लोग अब नकद लेन-देन की बजाय डिजिटल विकल्प को ज्यादा चुन रहे हैं।
महाराष्ट्र सबसे आगे
NPCI के राज्यवार आंकड़ों के मुताबिक—
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महाराष्ट्र ने UPI ट्रांजैक्शन में 9.8% हिस्सेदारी के साथ टॉप किया।
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कर्नाटक 5.5% और
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उत्तर प्रदेश 5.3% हिस्सेदारी के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
भारत बना डिजिटल पेमेंट में दुनिया का लीडर
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IMF की रिपोर्ट के अनुसार, UPI की वजह से भारत ग्लोबल डिजिटल पेमेंट्स लीडर बन गया है।
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NPCI ने 2016 में UPI की शुरुआत की थी, और आज यह करोड़ों लोगों के लिए सबसे भरोसेमंद और आसान पेमेंट तरीका बन चुका है।
जून 2025 के आंकड़े
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जून में UPI से 1,839 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए।
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वैल्यू रही ₹24.03 लाख करोड़।
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जून 2024 की तुलना में इसमें 32% की ग्रोथ दर्ज की गई।
UPI क्यों है खास?
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बस UPI आईडी (मोबाइल नंबर / ईमेल / आधार नंबर) की जरूरत।
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बैंक अकाउंट नंबर या IFSC याद रखने की झंझट खत्म।
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बिजली-पानी के बिल, ऑनलाइन शॉपिंग, दुकान पर पेमेंट—सब कुछ एक क्लिक में।
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फास्ट, सिक्योर और बिना ज्यादा खर्च का तरीका।
साफ है कि UPI सिर्फ पेमेंट टूल नहीं, बल्कि भारत की कैशलेस इकोनॉमी का रीढ़ बन चुका है।