दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में वोटर लिस्ट विवाद ने बड़ा राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच टकराव गहराता जा रहा है। अब विपक्षी INDIA गठबंधन ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के संकेत दिए हैं।
राहुल गांधी का आरोप
राहुल गांधी का दावा है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है, जिससे बीजेपी को चुनावी फायदा मिलता है। उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि “सिर्फ बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा क्षेत्र में ही 1 लाख से अधिक फर्जी वोटर मिले हैं।”
राहुल का आरोप है कि चुनाव आयोग वोट चोरी में मददगार बन रहा है।
चुनाव आयोग का पलटवार
CEC ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा – “राहुल गांधी संविधान का अपमान कर रहे हैं। आरोप झूठे हैं। वे 7 दिन में शपथपत्र दें या फिर देश से माफी मांगें। अन्यथा यह माना जाएगा कि आरोप निराधार हैं।”
विपक्ष की रणनीति
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने राज्यसभा में महाभियोग लाने की बात कही, वहीं AAP के संजय सिंह और TMC के कल्याण बैनर्जी ने भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाए।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा – “क्या चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त के आदेश को लागू करेगा या नहीं?”
महाभियोग प्रक्रिया क्या है?
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संविधान के आर्टिकल 324(5) के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के जजों जैसी है।
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संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव लाना पड़ता है।
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दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के बाद ही यह मान्य होता है।
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अंत में राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है।
राजनीतिक असर
अगर विपक्ष वास्तव में महाभियोग प्रस्ताव पेश करता है तो यह भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ और ऐतिहासिक कदम होगा। हालांकि संख्याबल बीजेपी के पक्ष में होने के कारण इसे पास कराना आसान नहीं होगा।