हाउसिंग सोसाइटी में पालतू जानवर रखने के नियम और जरूरी बातें
देश में आवारा कुत्तों को लेकर बहस तेज़ है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए और उन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए। वजह है—रेबीज और कुत्तों के काटने के बढ़ते मामले।
लेकिन पालतू कुत्तों को लेकर भी सोसाइटीज में अक्सर विवाद होते हैं—लिफ्ट, पार्क और बच्चों के प्ले एरिया में काटने या डराने की शिकायतें आती रहती हैं। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि पालतू मालिक और सोसाइटी—दोनों के क्या अधिकार और जिम्मेदारियां हैं।
❓ क्या सोसाइटी पालतू कुत्ता रखने से रोक सकती है?
नहीं। किसी भी सोसाइटी के पास आपको पालतू रखने से रोकने का अधिकार नहीं है।
Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960 और Animal Welfare Board of India (AWBI) की गाइडलाइंस साफ कहती हैं कि पालतू रखना आपका अधिकार है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि यह अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हिस्सा है।
❓ क्या लिफ्ट, पार्क या प्ले एरिया में पालतू को ले जाने पर रोक है?
सोसाइटी आपको रोक नहीं सकती।
✅ हां, साफ-सफाई और सुरक्षा के लिए कुछ व्यावहारिक नियम बनाए जा सकते हैं। जैसे—कुत्ते को पट्टे पर रखना, गंदगी साफ करना आदि।
❓ अगर कुत्ता काट ले या नुकसान करे तो कौन जिम्मेदार?
पूरी जिम्मेदारी मालिक की होती है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, धारा 291 के तहत—
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लापरवाही पर यह अपराध माना जाएगा।
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सजा: 6 महीने की कैद, 5000 रुपये जुर्माना या दोनों।
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इलाज व मुआवजा भरना भी मालिक की जिम्मेदारी है।
❓ क्या सोसाइटी पालतू की संख्या या नस्ल पर रोक लगा सकती है?
⚖️ पूरी तरह से रोक नहीं, लेकिन कुछ सीमा तय कर सकती है।
जैसे—एक फ्लैट में कितने पालतू रखे जा सकते हैं या आक्रामक नस्लों के लिए विशेष नियम।
नियम मनमाने नहीं होने चाहिए, बल्कि सुरक्षा और सुविधा के हिसाब से बनाए जाने चाहिए।
❓ पालतू मालिक की जिम्मेदारियां क्या हैं?
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पालतू का रेबीज टीकाकरण और हेल्थ रिकॉर्ड हमेशा अपडेट रखें।
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कॉमन एरिया में सफाई का ध्यान रखें।
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कुत्ते को पट्टे पर रखें और बेसिक ट्रेनिंग दें।
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बीमार कुत्ते को पार्क/लिफ्ट/प्ले एरिया में न ले जाएं।
❓ अगर किसी कुत्ते से सोसाइटी में दिक्कत हो तो क्या करें?
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पहले उसके मालिक से शांतिपूर्वक बात करें।
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समस्या हल न हो तो सोसाइटी कमेटी को बताएं।
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जरूरत पड़े तो कानूनी मदद लें।
निष्कर्ष
पालतू कुत्ता रखना सिर्फ प्यार और शौक नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी है। अगर मालिक अपने पालतू की देखभाल और सोसाइटी के नियमों का संतुलन रखे, तो विवाद से बचा जा सकता है और सबके लिए सुरक्षित व सुखद माहौल बन सकता है।