हम जो खाते हैं, वह सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि हमारी सेहत से जुड़ा होता है। भारत में खाने-पीने की चीजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) संभालती है। यह सुनिश्चित करती है कि हमें मिलने वाला खाना साफ, सुरक्षित और नियमों के मुताबिक हो।
लेकिन कभी-कभी बाजार या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से खराब, नकली या एक्सपायरी फूड मिल जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने अधिकार जानें और सजग रहें।
फूड सेफ्टी क्या है?
फूड सेफ्टी मतलब खाना ऐसा हो जो आपकी सेहत को नुकसान न पहुँचाए। इसमें शामिल है:
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साफ-सफाई
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मिलावट से मुक्त होना
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पैकिंग पर सही मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट
कानूनी अधिकार
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FSSAI एक्ट 2006 के तहत हर उपभोक्ता को सुरक्षित और शुद्ध खाने का अधिकार है।
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कंपनियों को खाना मिलावटी या गलत जानकारी के साथ नहीं बेचना चाहिए।
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अगर कोई खाने-पीने की चीज मिलावट वाली या गलत जानकारी के साथ मिलती है, तो आप FSSAI या कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
खराब या मिलावटी खाना मिलने पर क्या करें?
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नाराज होने तक सीमित न रहें।
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ऑनलाइन, फोन या एप के जरिए FSSAI या नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन में शिकायत करें।
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दोषी पाए जाने पर जुर्माना, लाइसेंस रद्द या अन्य सख्त कार्रवाई हो सकती है।
FSSAI लाइसेंस कैसे चेक करें?
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हर दुकान/रेस्टोरेंट या पैक्ड फूड पर 14 अंकों का FSSAI नंबर लिखा होता है।
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इसे FSSAI की वेबसाइट या मोबाइल एप ‘फूड सेफ्टी कनेक्ट’ पर डालकर चेक करें।
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नंबर न होने पर वहां से खाना लेना सुरक्षित नहीं।
100% शुद्ध वाले दावे पर भरोसा?
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बिना वैज्ञानिक प्रमाण और लैब टेस्ट के किसी भी ब्रांड का ‘100% शुद्ध’ या ‘100% सेफ’ दावा पूरी तरह सही नहीं माना जाता।
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FSSAI ऐसे दावे करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई कर सकता है।
एक्सपायरी डेट न होने पर
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पैकेट पर एक्सपायरी डेट न लिखी हो या छुपाई गई हो तो शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
रेस्टोरेंट की गंदगी पर कार्रवाई
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FSSAI पोर्टल या एप पर शिकायत करें।
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स्थानीय फूड सेफ्टी ऑफिसर से संपर्क करें।
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फोटो/वीडियो रिकॉर्डिंग मददगार होगी।
ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप्स
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सभी एप्स FSSAI नियमों के अंतर्गत आते हैं।
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हर रसोई/रेस्टोरेंट के पास FSSAI लाइसेंस होना जरूरी।
फूड पॉइजनिंग होने पर
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मेडिकल रिपोर्ट के साथ FSSAI या जिले के फूड सेफ्टी विभाग में शिकायत करें।
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दोषी पाए जाने पर जुर्माना, लाइसेंस सस्पेंड या आपराधिक केस हो सकता है।
शिकायत कौन कर सकता है?
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ग्राहक होना जरूरी नहीं।
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कोई भी व्यक्ति (राहगीर, पड़ोसी, कर्मचारी) शिकायत कर सकता है।
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शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाती है।
शिकायत के स्तर और सीमा
स्तर | राशि सीमा |
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जिला उपभोक्ता फोरम | 0 – 50 लाख रुपए |
राज्य उपभोक्ता आयोग | 50 लाख – 2 करोड़ रुपए |
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग | 2 करोड़ रुपए से अधिक |
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राष्ट्रीय आयोग में न्याय न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में भी शिकायत की जा सकती है।