आज यानी 27 अगस्त से भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर 50% टैरिफ लागू हो गया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नया टैरिफ भारत के करीब ₹5.4 लाख करोड़ के निर्यात को प्रभावित कर सकता है। अप्रैल 2027 तक अमेरिका को भारतीय निर्यात ₹7.5 लाख करोड़ से घटकर ₹4.3 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। यह टैरिफ अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान का लगभग 66% हिस्सा प्रभावित करेगा।
प्रमुख सेक्टर पर असर
-
मशीनरी और ऑटो पार्ट्स:
-
भारत ने 2024 में अमेरिका को 19.16 बिलियन डॉलर के इंजीनियरिंग गुड्स निर्यात किए।
-
ऑटो पार्ट्स पर सबसे ज्यादा असर, लगभग ₹30,000 करोड़ का निर्यात प्रभावित हो सकता है।
-
समाधान: यूरोप और ASEAN देशों में निर्यात बढ़ाना, PLI स्कीम के तहत उत्पादन लागत कम करना।
-
-
इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन:
-
भारत ने 2024 में अमेरिका को 14 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स भेजे।
-
अभी तक छूट है, लेकिन सेक्शन 232 टैरिफ लागू होने पर 50% शुल्क का असर पड़ेगा।
-
समाधान: स्मार्टफोन और सेमीकंडक्टर पर छूट बनाए रखना, घरेलू बाजार मजबूत करना।
-
-
फार्मा:
-
भारत ने 2024 में अमेरिका को 10.52 बिलियन डॉलर दवाओं का निर्यात किया।
-
ट्रम्प ने 150% और बाद में 250% टैरिफ की धमकी दी।
-
समाधान: वैकल्पिक बाजार तलाशना, जेनेरिक दवाओं की कीमत नियंत्रित रखना।
-
-
ज्वेलरी और रत्न:
-
2024 में अमेरिका को ₹87,000 करोड़ का निर्यात।
-
टैरिफ बढ़ने से 15-30% की कमी संभव।
-
समाधान: दुबई, मेक्सिको और यूरोप में मैन्युफैक्चरिंग विकल्प तलाशना।
-
-
टेक्सटाइल और कपड़े:
-
2024 में अमेरिका को ₹87,000 करोड़ के कपड़े निर्यात।
-
टैरिफ के बाद अमेरिकी मांग में 20-25% की कमी।
-
समाधान: EU, UK और UAE जैसे वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान।
-
-
सी फूड सेक्टर:
-
अमेरिका को ₹60,000 करोड़ का निर्यात, टैरिफ से ₹24,000 करोड़ का कारोबार खतरे में।
-
समाधान: चीन और यूरोपीय देशों में निर्यात बढ़ाना।
-
टैरिफ की पृष्ठभूमि:
-
टैरिफ यानी आयात शुल्क। ट्रम्प ने ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ नीति के तहत भारत पर कुल 50% शुल्क लगाया।
-
कारण: अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक भारत अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैक्स लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय सामान पर कम।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील की स्थिति:
-
लंबे समय से बातचीत जारी, छठा दौर अगस्त में टला।
-
उम्मीद: सितंबर-अक्टूबर तक बड़ा समझौता संभव।
-
विवादित मुद्दे: एग्रीकल्चर सेक्टर, GM फसल और डेयरी उत्पाद।