धान बेचने के लिए पंजीयन में बाधाएं: शहरी किसान ज्यादा परेशान…!!

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रायपुर – छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को शासकीय योजनाओं का लाभ आसानी से दिलाने के लिए एकीकृत किसान पोर्टल को अब एग्रीस्टैक से जोड़ा है। खरीफ वर्ष 2025-26 के लिए सभी किसानों को इस पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य है। पिछले एक सप्ताह से पोर्टल बंद होने के कारण किसानों को दिक्कत हो रही थी। पोर्टल बुधवार को खुला। गांव के किसानों का पंजीयन आधार लिंक करने के बाद हो रहा है, लेकिन शहरी क्षेत्र के किसानों को दिक्कत आ रही है। लैंड प्रोफाइल क्षेत्र नगर पालिका और नगर पंचायत का नाम नहीं दिखा रहा है। ऐसे में शहरी किसानों का पंजीयन प्रोसेस आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

एग्रीस्टैक पंजीयन के बिना कोई भी किसान धान बेचने के लिए पात्र नहीं होगा। कई किसानों के पंजीयन के दौरान बहुत सी परेशानियां सामने आ रही हैं। जिला कार्यालय में किसान इसे लेकर अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उनको कोई मदद नहीं मिल पा रही है। बताया जाता है कि शहरी क्षेत्रों के कृषि भूमि को पोर्टल में नहीं दिखा रहा है। नगर पंचायत, नगर पालिका एवं नगर निगम क्षेत्र के किसानों का पंजीयन नहीं हुआ। रोज चॉइस सेंटर का चक्कर काट रहे हैं। शहरी क्षेत्र की जमीन के रिकॉर्ड का उल्लेख नहीं होने से किसान पंजीयन से वंचित हैं। किसान चिंतित हैं कि कहीं धान बेचने से वंचित न हो जाएं।

यह है एग्रीस्टैक
एग्रीस्टैक एक डिजिटल इकोसिस्टम है, जिसे भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए विकसित किया है। इसका उद्देश्य किसानों की समस्त – जानकारी जैसे पहचान, भूमि रिकार्ड, आय, कर्ज, फसल की जानकारी और बीमा इतिहास को डिजिटल प्लेटफार्म पर इकट्ठा करना है। हर किसान को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान यानी किसान आईडी मिलेगी, जो उनके आधार से लिंक होती है।

इस तरह की दिक्कतें
पंजीयन में किसानों को कई तरह की दिक्कते आ रही है। किसान जिस सहकारी समिति में पंजीयन कराते हैं. ऐसी कई समितियों का कोड बदला नहीं गया है, जिसके कारण किसानों का पंजीयन नहीं हो रहा है। वहीं ऐसे किसान, जिनकी जमीन शामिलात खाते में दर्ज है, उन किसानों के नाम से अलग-अलग पंजीयन में परेशानी हो रही है। पटवारी खाते में इन किसानों का नाम जोड़कर लिखा होता है। अत उन्हें पंजीकृत कराने अपने खाते अलग-अलग कराकर पंजीयन के लिए प्रस्तुत करना होगा। ऐसे किसान, जिन्होंने कृषि जमीन अभी खरीदी है, उनका पंजीयन अभी नहीं हो पाएगा। उनका पंजीयन दो साल बाद एग्रीटेक पोर्टल में होगा।

हमारे क्षेत्र का नाम ही नहीं दिखाता
आरंग नगर पालिका क्षेत्र के किसान मंगल मूर्ति अग्रवाल ने बताया कि, पोर्टल पहले तो खुल नहीं रहा था। आज पोर्टल खुला, उसमें लैंड प्रोफाइल में क्लिक करने पर आरंग का नाम ही नहीं दिखाता। तहसीलदार से इस संबंध में जानकारी ली गई, तो उन्होंने इसका कोई समुचित समाधान नहीं बताया। आज भी यहां के किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है। पिछले साल आरंग के 3663 किसानों ने धान बेचने पंजीयन कराया था।

किसानों को हो रही ये परेशानी
जिला कांग्रेस अध्यक्ष उधोराम वर्मा का कहना है कि, शहर और नगर पंचायतों के किसान करीब 9 लाख एकड़ जमीन का पंजीयन से वंचित हो जायेगे। लाखों की संख्या में किसान धान बेचने से वंचित होंगे। एबीस्टेक पोर्टल में 2023का रिकॉर्ड है उसे 2025 का रिकॉर्ड डेटा रखा जाए जिससे किसानों को सुविधा पूर्वक पंजीयन करा कर धान बेचने, बीमा एवं प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राशि का लाभ उठा सकें।

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