पर्युषण महापर्व का समापन: श्री वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक, जलाभिषेक और विशेष पूजा से गुंजा मंदिर परिसर

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रायपुर। भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी, 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर परिसर में दशलक्षण पर्युषण महापर्व का भव्य समापन हुआ। इस दिन 12वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव को अपार श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। मंदिर में निर्वाण लड्डू अर्पित किए गए और परिसर भगवान के जयकारों से गूंज उठा।

विशेष जलाभिषेक और पूजन
सुबह के मंगल मुहूर्त में श्रीजी को पाण्डुक शिला पर विराजमान कर शुद्ध प्रासुक जल से मंत्रोच्चारण के साथ जलाभिषेक किया गया। इसके बाद रजत कलशों से सामूहिक अभिषेक हुआ, जहां श्रद्धालुओं ने विश्व शांति और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। नित्य नियम पूजा के साथ अष्ट द्रव्यों से दशलक्षण पूजा, सोलह कारण पूजा और श्री वासुपूज्य भगवान की विशेष पूजा भी की गई।

मंत्रोच्चारण और निर्वाण लड्डू अर्पण
पूजन के दौरान “ॐ ह्रीं भाद्रपद शुक्ल चतुर्दश मोक्षमंगलमाण्डित्य श्री वासुपूज्यजिनेद्र अर्ध्य निर्वपामीति स्वाहा” मंत्रोच्चार हुआ। इसी के साथ श्री फल और निर्वाण लड्डू अर्पित कर पूरे जिनालय में भक्ति का चरम वातावरण बन गया।

उत्तम ब्रह्मचर्य का महत्व
पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने अपने संबोधन में कहा कि पर्युषण पर्व का अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन काम, क्रोध, ईर्ष्या और द्वेष जैसे नकारात्मक भावों पर विजय पाकर आत्मा की शुद्धि की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा – “ब्रह्मचर्य धर्म इंसान की इच्छाशक्ति को मजबूत बनाता है और मन को नियंत्रण में रखने का सच्चा मार्ग है।”

श्रावक-श्रविकाओं की तपस्या और उपवास
इस पावन पर्व पर बड़ी संख्या में श्रावक-श्रविकाओं ने व्रत, उपवास और तपस्या करके आत्मिक शुद्धि का मार्ग अपनाया। ‘अनंत’ का अर्थ अनंतानुबंधी कषायों का शमन कर अनंत पुण्य अर्जित करना है, और यही पर्युषण पर्व का मूल भाव है।

दशलक्षण पर्व का समापन और क्षमा पर्व की तैयारी
श्री वासुपूज्य भगवान का निर्वाण कल्याणक दिवस मनाने के साथ ही दशलक्षण पर्व का समापन हुआ। अगले दिन समाजजन तपस्वियों का पारणा कर उनका सम्मान करेंगे और क्षमा पर्व मनाएंगे। इस अवसर पर सभी एक-दूसरे से जीवन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा याचना कर आपसी सौहार्द का संदेश देंगे।

मंदिर परिसर में हुए इस भव्य धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और वैराग्य व मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर होने का संकल्प लिया।

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