हिमाचल प्रदेश की मंडी से भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी असफलता हाथ लगी है। किसान आंदोलन से जुड़े मानहानि मामले में दायर उनकी याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि कंगना का ट्वीट महज़ ‘साधारण रिट्वीट’ नहीं था, बल्कि उसमें उन्होंने अपनी टिप्पणी जोड़कर मसाला डाला था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसी भी तरह की सफाई निचली अदालत में ही दी जा सकती है।
कंगना की ओर से वकील ने दलील दी कि उनकी मुवक्किल पंजाब में सुरक्षित महसूस नहीं करतीं और वहाँ जाना संभव नहीं है। इस पर कोर्ट ने सुझाव दिया कि वे व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए आवेदन कर सकती हैं। साथ ही चेतावनी दी कि अगर दलीलों को ज्यादा खींचा गया तो ऐसी टिप्पणियाँ आ सकती हैं जो उनके केस को और कमजोर कर देंगी। इसके बाद कंगना ने याचिका वापस ले ली।
पूरा विवाद क्या है?
दरअसल, 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। उसमें उन्होंने पंजाब की 73 वर्षीय महिंदर कौर की तस्वीर साझा कर यह दावा किया था कि वे वही बुज़ुर्ग महिला हैं जो शाहीन बाग आंदोलन में भी शामिल थीं। महिंदर कौर ने इस बयान को अपमानजनक मानते हुए जनवरी 2021 में बठिंडा की अदालत में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया।
इससे पहले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट भी कंगना को राहत देने से इनकार कर चुका था। और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी है। ऐसे में कंगना के लिए कानूनी लड़ाई और मुश्किल होती नज़र आ रही है।