राजधानी रायपुर के कोटा क्षेत्र में स्थित सुयश हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज की इंजेक्शन लगने के बाद मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया और उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज किया। यह घटना साल 2010 की है, लेकिन केस का फैसला 13 साल बाद आया है।
फोरम का आदेश
गुरुवार (13 सितंबर 2025) को राज्य उपभोक्ता फोरम ने सुयश हॉस्पिटल को दोषी ठहराते हुए आदेश जारी किया। अस्पताल को आदेश दिया गया:
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15 लाख रुपए मुआवजा (6% वार्षिक ब्याज सहित)
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1 लाख रुपए मानसिक क्षतिपूर्ति
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10 हजार रुपए वाद व्यय
कुल मिलाकर मरीज के परिवार को 16 लाख रुपए से अधिक मुआवजा मिलेगा।
मामला क्या था
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हिमांशु सोनी को 2008 में सड़क हादसे के बाद पैरों की कमजोरी और पेशाब नली की समस्या थी।
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18 से 24 दिसंबर 2010 तक उन्हें सुयश हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और लेजर सर्जरी हुई। अस्पताल ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया था।
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लेकिन 26 दिसंबर को अचानक दर्द बढ़ने पर वह फिर से हॉस्पिटल लाए गए।
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इंजेक्शन लगाने के बाद उनकी हत्या जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई और उनकी मौत हो गई।
अस्पताल का बचाव और फोरम की प्रतिक्रिया
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हॉस्पिटल ने दावा किया कि मरीज पहले से मृत अवस्था में लाया गया था और कोई इंजेक्शन नहीं दिया गया।
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लेकिन जिला आयोग में डॉक्टरों ने माना कि इंजेक्शन देकर पुनर्जीवन प्रयास किया गया।
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अस्पताल ने सीसीटीवी फुटेज, विजिटर रजिस्टर और चिकित्सकीय दस्तावेज भी पेश नहीं किए।
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रिपोर्ट परिवार को नहीं दी गई, जिससे विशेषज्ञ राय नहीं ली जा सकी।
इन तथ्यों ने अस्पताल की लापरवाही स्पष्ट कर दी।
फाइनल आदेश
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जिला उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल को दोषी मानते हुए हिना सोनी के पक्ष में फैसला सुनाया।
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सुयश हॉस्पिटल ने आदेश को चुनौती दी, लेकिन राज्य उपभोक्ता आयोग ने अपील खारिज कर दी।
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इस फैसले से हिमांशु सोनी की पत्नी हिना सोनी ने राहत की सांस ली।