नवी मुंबई के ऐरोली इलाके में 13 सितंबर की शाम को हुए एक हादसे ने बर्खास्त IAS पूजा खेडकर के परिवार को फिर सुर्खियों में ला दिया है। बताया जाता है कि पूजा के पिता दिलीप खेडकर, मां मनोरमा खेडकर और उनके बॉडीगार्ड प्रफुल सालुंखे पर ट्रक के हेल्पर का अपहरण और मारपीट करने का आरोप है।
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, पूजा के परिवार की करीब 2 करोड़ की लैंड क्रूजर SUV की टक्कर एक सीमेंट मिक्सर ट्रक से हो गई थी। इसके बाद दिलीप और उनके गार्ड ने ट्रक के हेल्पर प्रह्लाद कुमार (22) को जबरन गाड़ी में बिठाकर पुणे के चतुर्श्रृंगी स्थित घर ले जाया गया, जहां उसे बंधक बनाकर पीटा गया।
पुलिस जब शिकायत पर उनके घर पहुंची, तो वहां मौजूद मनोरमा खेडकर ने टीम से बदसलूकी की और यहां तक कि पुलिसवालों पर कुत्ता छोड़ दिया। हालांकि, हेल्पर को छुड़ा लिया गया। लेकिन दिलीप और मनोरमा अगली सुबह थाने पहुंचने का वादा करके SUV समेत फरार हो गए। अब मनोरमा पर सरकारी काम में बाधा डालने, सबूत नष्ट करने और आरोपी को बचाने की धाराओं में केस दर्ज है।
सुप्रीम कोर्ट से मिली थी पूजा को राहत
इससे पहले भी पूजा खेडकर कानूनी विवादों के चलते चर्चा में रही हैं। 21 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देते हुए जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था। जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा था कि पूजा पर हत्या या आतंकवाद जैसे गंभीर आरोप नहीं हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और सख्त टिप्पणी की थी कि “यह न केवल संवैधानिक संस्थान बल्कि पूरे समाज और देश के साथ धोखाधड़ी है।”
पूजा खेडकर का विवादित सफर
पूजा अपने ट्रेनिंग पीरियड में ही लगातार सुर्खियों में रही थीं। उन्होंने पुणे में एक वरिष्ठ अफसर का चैंबर कब्जा कर लिया था, निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ की प्लेट लगाई थी, जिस पर 26 हजार रुपए का जुर्माना भी बकाया था।
जांच में सामने आया कि UPSC में चयन के लिए उन्होंने फर्जी दस्तावेजों और विकलांगता सर्टिफिकेट का सहारा लिया।
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अलग-अलग सालों में जारी कई विकलांगता सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए गए।
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पते के तौर पर जिस जगह का जिक्र था, वहां मकान नहीं बल्कि एक फैक्ट्री थी।
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अनिवार्य आधार कार्ड की जगह राशन कार्ड लगाया गया।
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मेडिकल टेस्ट से वे कई बार बचती रहीं और अंत में एक प्राइवेट हॉस्पिटल की रिपोर्ट सौंप दी।
यहीं नहीं, उन पर OBC नॉन-क्रीमी लेयर कोटे का फायदा उठाने का भी आरोप है। पिता दिलीप खेडकर खुद रिटायर्ड IAS और चुनाव लड़ चुके हैं। चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 40 करोड़ बताई, जबकि UPSC को दिए पूजा के एफिडेविट में परिवार की संपत्ति 8 लाख से कम बताई गई।
पूजा का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वे दावा कर रही थीं कि माता-पिता का तलाक हो चुका है और पिता उनके साथ नहीं रहते, इसलिए वे आरक्षण श्रेणी में आती हैं।
कुल मिलाकर, पूजा खेडकर का नाम फर्जीवाड़े से लेकर परिवार पर दर्ज आपराधिक मामलों तक लगातार विवादों में घिरा हुआ है।