पतंजलि-डाबर च्यवनप्राश विवाद: दिल्ली HC ने बाबा रामदेव को फटकार लगाई, कहा– हर अपील नहीं होगी स्वीकार

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दिल्ली हाईकोर्ट में शुक्रवार को पतंजलि और डाबर के बीच च्यवनप्राश विज्ञापन विवाद की सुनवाई हुई। बाबा रामदेव ने उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें सिंगल जज ने पतंजलि के विज्ञापन पर रोक लगाई थी।

जस्टिस सी. हरिशंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि— “आपने बाकी कंपनियों को यह कहकर बदनाम किया कि उन्हें च्यवनप्राश बनाने का ज्ञान नहीं है। हर अपील पर कोर्ट का समय बर्बाद नहीं किया जा सकता, जरूरत पड़ी तो जुर्माना भी लगाया जाएगा।”

कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

  • जजों ने कहा कि सिंगल बेंच ने एड को अपमानजनक मानते हुए सही आदेश दिया है।

  • कोर्ट ने टिप्पणी की— “आपके पास पैसा है, इसलिए हर बार अपील दायर करना सही नहीं। यह आदेश आपके बिजनेस को नुकसान नहीं पहुंचा रहा।”

  • पतंजलि की ओर से वकील ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से चर्चा करने का समय मांगा। कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 सितंबर को तय की।

डाबर का आरोप

डाबर कंपनी का आरोप है कि पतंजलि के विज्ञापन में उनके 40 जड़ी-बूटियों वाले च्यवनप्राश को “साधारण” बताकर ग्राहकों को गुमराह किया गया। डाबर की बाजार हिस्सेदारी 60% से अधिक है और कंपनी का कहना है कि यह विज्ञापन उनकी ब्रांड वैल्यू को नुकसान पहुंचा रहा है।

डाबर का यह भी कहना है कि पतंजलि ने विज्ञापन में संकेत दिया कि दूसरे ब्रांड्स के उत्पाद से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। कंपनी ने कोर्ट को याद दिलाया कि पतंजलि पहले भी भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से फटकार खा चुका है।

पहले भी विवादों में घिरे रामदेव

  • शरबत विवाद (अप्रैल 2024): रामदेव ने दावा किया था कि एक कंपनी शरबत से हुई कमाई से मस्जिद और मदरसे बनवाती है। इसके खिलाफ हमदर्द (रूह अफजा) कंपनी ने हाईकोर्ट में केस किया।

  • IMA याचिका (2022): इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया था कि पतंजलि कोविड समेत कई बीमारियों के इलाज के झूठे दावे कर रहा है।

  • सुप्रीम कोर्ट फटकार (2023-24): कोर्ट ने कई बार पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन बंद करने का आदेश दिया। आदेश न मानने पर अवमानना कार्रवाई तक की चेतावनी दी गई।

  • 2025: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने माफीनामा देकर कोर्ट से केस खत्म करवाया।

आगे क्या?

23 सितंबर को अगली सुनवाई होगी। तब यह तय होगा कि पतंजलि को विज्ञापन जारी रखने की अनुमति मिलेगी या उस पर स्थायी रोक लगी रहेगी। यह मामला न केवल कंपनियों के बिजनेस पर असर डाल सकता है, बल्कि विज्ञापन जगत और उपभोक्ताओं के भरोसे के लिए भी मिसाल साबित होगा।

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