एशिया कप 2025 का ये मुकाबला सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि दोस्ती और सपनों की जंग भी होगा।
ओमान की टीम में उतरने वाले विनायक शुक्ला कभी कानपुर की गलियों में अपने बचपन के दोस्त कुलदीप यादव के साथ क्रिकेट खेला करते थे। वही कुलदीप, जो आज भारत के स्टार स्पिनर हैं। और वही विनायक, जिन्होंने क्रिकेट का सपना पूरा करने के लिए भारत छोड़कर ओमान का रास्ता चुन लिया।
दिन में डेटा ऑपरेटर की नौकरी और रात में क्रिकेट की कड़ी प्रैक्टिस— यही है विनायक की असली कहानी। 2021 में भारत की घरेलू टीमों में जगह न मिलने पर उन्होंने अपने कोच प्रकाश पालांदे की सलाह मानी और मस्कट चले गए। तीन साल की मेहनत के बाद 2024 में उन्होंने ओमान के लिए इंटरनेशनल डेब्यू किया।
विनायक बताते हैं कि उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा हमेशा महेंद्र सिंह धोनी रहे हैं। धोनी की तरह मैच फिनिश करने और टीम को आगे ले जाने का अंदाज़ उन्हें बेहद भाता है।
लेकिन इस बार उनके सामने खड़ा होगा भारत— और पिच पर उनका सबसे बड़ा इम्तिहान होगा।
विनायक कहते हैं— “भारत के खिलाफ खेलना किसी सपने जैसा है। कभी मैं वहीं खेलता था, आज उनके सामने खड़ा हूं। कुलदीप, बुमराह और शुभमन जैसे खिलाड़ियों के सामने उतरना ही बहुत बड़ी बात है।”
कानपुर की लोकल टीमों से शुरू हुई दोस्ताना जंग अब एशिया कप जैसे बड़े मंच तक पहुँच चुकी है। बचपन का वो चौका, जिस पर कुलदीप ने विनायक को सराहा था— अब शायद इतिहास बन जाए।
यह सिर्फ मैच नहीं, बल्कि दोस्ती बनाम देश, संघर्ष बनाम सफलता और कानपुर से मस्कट तक के सपनों का सफर है।