सोमवार को अडानी पावर के शेयर ने निवेशकों की धड़कनें बढ़ा दीं। शुरुआत में स्क्रीन पर 80% की गिरावट दिखी, जिससे मार्केट में हलचल मच गई। लेकिन कुछ ही देर में साफ हुआ कि यह गिरावट असल में स्टॉक स्प्लिट का तकनीकी असर थी। हकीकत में शेयर 20% चढ़कर नए हाई पर बंद हुए।
क्या हुआ शेयर के साथ?
-
अडानी पावर ने अगस्त में 1:5 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट का ऐलान किया था।
-
इसके लिए 22 सितंबर 2025 रिकॉर्ड डेट तय की गई थी।
-
स्प्लिट के बाद सोमवार को शेयर 20% उछलकर 170.25 रुपये पर पहुंच गया, जो इसका नया 52 हफ्तों का हाई है।
स्टॉक स्प्लिट का असर कैसे पड़ता है?
मान लीजिए आपके पास 10 शेयर हैं, जिनकी कीमत 100 रुपये प्रति शेयर है (कुल वैल्यू = ₹1000)।
स्प्लिट के बाद आपके पास 50 शेयर होंगे, लेकिन प्रति शेयर कीमत घटकर 20 रुपये रह जाएगी।
कुल वैल्यू अब भी ₹1000 ही रहेगी। फर्क बस इतना होगा कि शेयरों की संख्या बढ़ जाएगी।
स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है?
-
शेयर को किफायती बनाने के लिए
-
रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए
-
बाजार में तरलता (Liquidity) मजबूत करने के लिए
अडानी पावर ने साफ कहा है कि इस कदम से छोटे निवेशक आसानी से हिस्सेदारी ले पाएंगे।
निवेशकों के भरोसे में बढ़ोतरी
-
मॉर्गन स्टेनली ने अडानी पावर को ओवरवेट रेटिंग देते हुए इसे टॉप पिक बताया।
-
कंपनी का मानना है कि समय पर प्रोजेक्ट पूरे करना और नए Power Purchase Agreement (PPA) हासिल करना इसकी मजबूती है।
-
हाल ही में SEBI ने गौतम अडानी और उनकी कंपनियों को हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों से क्लीन चिट दी, जिससे निवेशकों का भरोसा और बढ़ा है।