रायपुर के बिल्डर सुबोध सिंघानिया के नाम पर साइबर ठगों ने 8.7 लाख रुपए की ठगी की। आरोपियों ने बैंक अधिकारियों को फोन और वॉट्सऐप के माध्यम से फर्जी लेटरहेड भेजकर रकम को कोलकाता स्थित निजी खाते में ट्रांसफर करवाया।
ठगी ‘फेक अकाउंट होल्डर – APK’ के जरिए हुई। बैंक ने शिकायत दर्ज करवाई और पुलिस जांच में जुट गई।
छत्तीसगढ़ में पिछले 3 सालों में 791 करोड़ रुपए की साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं।
साइबर ठगी के 6 नए पैटर्न और बचाव
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फेक अकाउंट होल्डर स्कैम:
ठग खुद को बड़े ग्राहक या कारोबारी के रूप में पेश करके बैंक अधिकारियों को फर्जी दस्तावेज दिखाकर पैसे ट्रांसफर करवाते हैं। -
फेक ई-चालान स्कैम:
ठग ट्रैफिक अथॉरिटी या पुलिस अधिकारी बनकर नकली APK भेजते हैं। यह एप मोबाइल की सेंसिटिव जानकारी जैसे SMS, OTP, बैंकिंग एप्स चुरा लेता है। -
डिजिटल अरेस्ट स्कैम:
ऑनलाइन कॉल और वीडियो कॉल के जरिए खुद को पुलिस या साइबर सेल एजेंट दिखाकर डराया जाता है और जमानत या जुर्माना देने के लिए कहा जाता है। भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। -
फास्टैग स्कैम:
ठग फर्जी कॉल, SMS या QR कोड के जरिए फास्टैग से जुड़ी जानकारी चुराते हैं और बैलेंस निकाल लेते हैं। -
जम्प्ड डिपॉजिट स्कैम:
UPI यूजर के बैंक अकाउंट में थोड़े पैसे भेजकर रिक्वेस्ट के जरिए पूरा पैसा निकाल लिया जाता है। सावधानी: कभी भी UPI पिन या OTP शेयर न करें। -
ऑनलाइन ट्रेडिंग और APK फाइल स्कैम:
ठग फर्जी ट्रेडिंग एप या वेबसाइट से निवेश का झांसा देकर पैसे ले जाते हैं। APK फाइल इंस्टॉल करने पर मोबाइल में मालवेयर एक्टिव हो जाता है। बचाव: केवल ऑफिशियल स्टोर से ऐप डाउनलोड करें और बैंक/UPI डिटेल शेयर न करें।
साइबर ठगी के संकेत
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मोबाइल डेटा अचानक तेजी से खत्म होना
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बैटरी जल्दी खत्म होना और फोन का गर्म होना
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ऐप्स का असामान्य तरीके से काम करना
छत्तीसगढ़ और भारत में आंकड़े
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छत्तीसगढ़ में 67,389 लोग 3 साल में 791 करोड़ रुपए की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत कर चुके हैं।
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देश में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
त्योहारी सीजन में सतर्क रहें
डांडिया, ऑनलाइन बुकिंग और ई-कॉमर्स ऑफर का फायदा उठाकर ठग फर्जी वेबसाइट और मालवेयर लिंक फैलाते हैं।
सुरक्षा टिप्स:
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केवल विश्वसनीय और लाइसेंस प्राप्त प्लेटफॉर्म से ही ऑनलाइन पेमेंट करें।
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APK केवल आधिकारिक स्टोर से डाउनलोड करें।
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बैंकिंग और OTP जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
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संदिग्ध एप या लिंक पर क्लिक न करें।
इस तरह की सावधानी से आप साइबर ठगों से बच सकते हैं और अपने डिजिटल अकाउंट सुरक्षित रख सकते हैं।