अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाओं पर 1 अक्टूबर 2025 से 100% टैरिफ लगाया जाएगा। यह टैरिफ उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा जो अमेरिका में दवा निर्माण के लिए प्लांट लगा रही हैं।
पहले ट्रम्प ने भारत से कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी-फूड जैसे उत्पादों पर 50% टैरिफ लागू किया था। अब ब्रांडेड दवाओं को भी इस सूची में शामिल किया गया है।
भारत पर असर और जेनेरिक दवाओं की स्थिति
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भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है।
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2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 8.73 अरब डॉलर (~77,000 करोड़ रुपए) की दवाइयां भेजीं, जो कुल एक्सपोर्ट का 31% था।
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जेनेरिक दवाओं पर अभी तक कोई टैरिफ नहीं लगाया गया है, क्योंकि ये ब्रांडेड दवाओं से 80-90% सस्ती होती हैं और अमेरिकी हेल्थकेयर प्रणाली इन पर निर्भर है।
ब्रांडेड vs जेनेरिक दवा
ब्रांडेड दवा:
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रिसर्च और भारी निवेश के बाद बनाई जाती है।
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पेटेंट अवधि (आमतौर पर 20 साल) तक केवल निर्माता कंपनी इसे बेच सकती है।
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कीमत अधिक होती है।
जेनेरिक दवा:
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ब्रांडेड दवा का फॉर्मूला उपयोग करके बनाई जाती है।
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पेटेंट नहीं होता, कीमत 80-90% कम होती है।
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रिसर्च का खर्च नहीं उठाना पड़ता।
ट्रम्प के फैसले के कारण
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अमेरिका में दवा निर्माण बढ़ाना: ‘America First’ और ‘Make in America’ नीति के तहत।
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राष्ट्रीय सुरक्षा: महामारी और सप्लाई चेन संकट से अमेरिका में दवाओं की कमी से बचने के लिए।
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ब्रांडेड दवाओं पर दबाव: पूरी फार्मा सप्लाई चेन को अमेरिका में सुरक्षित करना।
अन्य सामानों पर टैरिफ
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किचन कैबिनेट, बाथरूम वैनिटी: 50%
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अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर (गद्देदार/फोम वाला): 30%
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बड़े ट्रक: 25%
ट्रम्प का कहना है कि यह कदम अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग और घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए जरूरी है।