शराब घोटाला: कांग्रेस पर ईडी-ईओडब्ल्यू की सख्ती, गैदू बोले- “राजनीतिक दबाव में हो रही कार्रवाई”

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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले पर अब एक और बड़ा मोड़ आया है। ACB-EOW ने कांग्रेस पार्टी के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू को नोटिस थमाया है। इस नोटिस में पार्टी दफ्तर के अकाउंटेंट देवेंद्र डड़सेना की पूरी जानकारी मांगी गई है। देवेंद्र को पार्टी के कोषाध्यक्ष राम गोपाल का करीबी बताया जा रहा है।

एजेंसी ने साफ-साफ सवाल पूछे हैं—

  • देवेंद्र की नियुक्ति किसने की?

  • उनकी जिम्मेदारियां क्या थीं?

  • उन्हें वेतन कहां से और कितना मिलता था?

यानी अब जांच का दायरा सीधे कांग्रेस संगठन तक जा पहुंचा है।


गैदू का पलटवार: “मुझे 9-9 घंटे बैठाया गया”

नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए गैदू ने कहा—
“यह देश की पहली घटना है, जब किसी राजनीतिक दल को इस तरह जांच एजेंसी से प्रताड़ित किया जा रहा है। मैंने पहले भी ईडी को तीन बार लिखित में जवाब दिए हैं। इसके बावजूद मुझे हर बार 9-9 घंटे तक दफ्तर में बैठाकर रखा गया। साफ है कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।”

गैदू के मुताबिक, ईडी ने उनसे सुकमा कांग्रेस भवन के निर्माण से जुड़ी डिटेल मांगी थी। उन्होंने पूरी फाइल और दस्तावेज सौंपने का दावा किया, फिर भी घंटों बैठाकर पूछताछ की गई।


मामला कहाँ से शुरू हुआ?

यह पूरा विवाद दिसंबर 2024 में उस समय गरमाया, जब ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश के घर छापा मारा। आरोप है कि शराब घोटाले की कमाई से ही सुकमा कांग्रेस भवन का निर्माण हुआ। ईडी का दावा है कि लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे और 36 महीनों में लगभग 72 करोड़ की रकम इकट्ठी हुई।

यही पैसे बेटे के घर और कांग्रेस भवन में लगाए गए। ईडी ने इसी आधार पर कांग्रेस भवन, लखमा का रायपुर वाला बंगला और सुकमा का मकान अटैच कर दिया।


प्रॉपर्टी अटैचमेंट का मतलब

जब किसी संपत्ति को “अटैच” किया जाता है, तो उसका इस्तेमाल जारी रहता है लेकिन न तो उसे बेचा जा सकता है और न ही ट्रांसफर। यह कदम इसलिए उठाया जाता है ताकि भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति सुरक्षित रहे और कोर्ट के फैसले तक बची रहे।


शराब घोटाला क्या है?

ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू की संयुक्त जांच में सामने आया है कि 2019 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला हुआ।

यह खेल तीन हिस्सों में बंटा था—

A: डिस्टलरी कमीशन – शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों से हर पेटी पर 75 से 100 रुपए तक वसूला जाता था।

B: नकली होलोग्राम – फर्जी होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से शराब बेची गई। इसके लिए खाली बोतलें और नकली टैक्स स्टिकर सप्लाई किए जाते थे।

C: सप्लाई जोन हेरफेर – अलग-अलग जिलों में डिस्टलरी की सप्लाई एरिया बदलकर करोड़ों की वसूली की गई।

जांच एजेंसियों का कहना है कि सिर्फ नकली होलोग्राम वाली शराब से ही 40 लाख पेटियां बेची गईं और सिंडिकेट ने 3200 करोड़ रुपए से ज्यादा की काली कमाई की।


कांग्रेस के लिए नई मुश्किल

गैदू का कहना है कि यह सब राजनीतिक दबाव में हो रहा है, लेकिन नोटिस और पूछताछ से साफ है कि अब जांच की आंच सीधे कांग्रेस संगठन तक पहुंच चुकी है।

कवासी लखमा पहले से जेल में बंद हैं और अब पार्टी दफ्तर की नियुक्तियों व वित्तीय लेनदेन की गहराई से पड़ताल की जा रही है।


यह मामला आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति को और ज्यादा हिला सकता है।

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