खड़्ग धारिणी गरबा का भव्य आयोजन: 2000 महिलाओं ने लिया भाग, मीनाक्षी सहरावत ने बांधा समां

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रायगढ़। नवरात्र महोत्सव के पावन अवसर पर महिला समन्वय रायगढ़ ने सेवा भारती समिति के मार्गदर्शन में आयोजित खड़्गधारिणी गरबा ने इस बार भी सफलता का नया कीर्तिमान रच दिया। बालिकाओं, युवतियों और महिलाओं ने गरबा नृत्य के माध्यम से आदिशक्ति मां अंबे की भक्ति वंदना करते हुए भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलक प्रस्तुत की।

महानवमी के पावन दिन आयोजित इस गरबा उत्सव के तृतीय दिवस पर मीनाक्षी सहरावत विशेष आकर्षण रहीं, जो मैंगलुरु, कर्नाटक से पहुंची हैं। बताया जा रहा है कि, मीनाक्षी प्रखर हिंदू वक्ता और अनन्य कृष्ण भक्त हैं l उनके प्रेरक उद्बोधन ने प्रांगण में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं के भीतर नई ऊर्जा का संचार कर दिया।

एकता और संस्कृति का अद्वितीय संगम
लगातार तीसरे वर्ष आयोजित हो रहे इस खड़्गधारिणी गरबा ने सामाजिक समरसता की नई मिसाल कायम की है। इस आयोजन में लगभग 2000 मातृ शक्तियों का एक ही प्रांगण में एकत्र होना, महिला समन्वय रायगढ़ की प्रतिबद्धता और प्रयासों का प्रतिक है। संस्था ने समाज की विभिन्न पृष्ठभूमियों से आई युवतियों व महिलाओं को एक मंच पर लाकर एकता और संस्कृति का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया।

बरसते पानी में जगमग रोशनी के बीच देर रात तक थिरकते रहे कदम
वहीं नवरात्रि का पर्व आते ही पूरा बलौदाबाजार अंचल माता दुर्गा की भक्ति और श्रद्धा में डूब गया। गांव-शहर की गलियों से लेकर मंदिरों और पंडालों तक हर जगह माता की आराधना की गूंज सुनाई देने लगी। इस भक्ति और उल्लास के बीच पलारी में सिद्धेश्वर युवा मंच द्वारा आयोजित तीन दिवसीय गरबा रास और सुमन नृत्य कार्यक्रम ने पूरे क्षेत्र का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

माहौल भक्ति और आनंद से सराबोर
पहले ही दिन से जब पंडाल के भीतर पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाएं और युवतियां रंग-बिरंगी लाइटों की जगमगाहट के बीच एक साथ कदम मिलातीं, तो पूरा माहौल भक्ति और आनंद से सराबोर हो उठता। ढोल-नगाड़ों और संगीत की धुन पर गोल घेरे में घूमते कदम जैसे मां दुर्गा की आराधना में एकाकार हो जाते।

अलग-अलग थीम पर गरबा
दूसरे दिन का नजारा तो और भी खास रहा। अलग-अलग थीम पर प्रस्तुत किए गए गरबा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कभी, बंगाल, राजस्थान, गुजरात, की छटा, तो कहीं छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति की रंगत। महिलाओं और युवाओं ने अपने परिधानों और नृत्य से यह संदेश दिया कि भारत की विविध संस्कृति एक धागे में पिरोई हुई है।

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