छत्तीसगढ़ में अब प्ले स्कूल भी नियम-कायदों से बंधने जा रहे हैं। राज्य सरकार ने इन्हें स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए एक विशेष कमेटी बनाई गई है जो एक्ट और उससे जुड़े नियम तैयार कर रही है। फिलहाल यह प्रक्रिया शुरुआती चरण में है, इसलिए इसे अंतिम रूप देने में कुछ महीने का समय लग सकता है।
देश में सिर्फ दो राज्यों में है ऐसा कानून
वर्तमान में देश में केवल गुजरात और मध्यप्रदेश ही ऐसे राज्य हैं, जहां प्ले स्कूल के लिए अलग से कानून बना है। छत्तीसगढ़ की कमेटी भी इन राज्यों के नियमों का अध्ययन कर रही है ताकि उनके अनुभवों से सीख लेकर यहां बेहतर कानून बनाया जा सके। अगर एक्ट लागू हो जाता है, तो छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य बन जाएगा जहां प्ले स्कूलों को शिक्षा विभाग के अधीन मान्यता मिलेगी।
एक्ट लागू होने के बाद क्या होगा बदलाव?
अभी तक प्ले स्कूलों के संचालन के लिए किसी विभाग से मान्यता लेना अनिवार्य नहीं है। यही वजह है कि उनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं है। लेकिन एक्ट लागू होने के बाद—
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प्ले स्कूल चलाने के लिए विधिवत मान्यता लेनी होगी।
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संचालन के दौरान सरकार द्वारा तय नियमों और शर्तों का पालन करना अनिवार्य होगा।
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छोटे बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने वाले इन स्कूलों पर भी निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित किया जाएगा।
क्यों चुना गया शिक्षा विभाग?
शुरुआत में विचार था कि प्ले स्कूल को महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन रखा जाए, लेकिन इससे तकनीकी समस्याएं खड़ी हो सकती थीं।
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कई स्कूल एक ही कैंपस में प्ले स्कूल से लेकर ऊपरी कक्षाओं तक का संचालन करते हैं।
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अगर अलग-अलग विभागों के नियम लागू होते तो एक ही कैंपस के लिए दोहरी मान्यता की ज़रूरत पड़ती।
इसी वजह से निर्णय लिया गया कि इन्हें सीधे स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन ही रखा जाए। सूत्रों के अनुसार, एक्ट निर्माण की जिम्मेदारी लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों को दी गई है।
कितने हैं प्ले स्कूल?
निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि चूंकि अभी तक प्ले स्कूलों के लिए आवेदन या मान्यता प्रक्रिया नहीं है, इसलिए उनकी सटीक संख्या ऑन रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। अनुमान के मुताबिक—
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प्रदेशभर में करीब 3,000 प्ले स्कूल संचालित हो रहे हैं।
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इनमें से 800 से ज्यादा रायपुर में ही हैं।