फास्टैग नहीं है? तो अब चिंता की ज़रूरत कम हो गई है। केंद्र सरकार ने टोल पेमेंट से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। नए नियम के मुताबिक, अगर ड्राइवर के पास वैध फास्टैग नहीं है और वह UPI से पेमेंट करता है, तो उसे सामान्य टोल का केवल 1.25 गुना शुल्क देना होगा। जबकि कैश पेमेंट करने पर दोगुना टोल देना पड़ेगा। ये नियम 15 नवंबर से लागू हो जाएंगे।
ड्राइवरों को राहत
अक्सर हाईवे पर फास्टैग स्कैन न होने या बैलेंस कम होने की वजह से ड्राइवरों को डबल पेनल्टी भरनी पड़ती थी। अब ऐसे मामलों में UPI पेमेंट विकल्प काफी राहत देगा, क्योंकि यहां सिर्फ 25% अतिरिक्त चार्ज लगेगा। ट्रांसपोर्टर भी मानते हैं कि इस बदलाव से लंबी दूरी तय करने वाले चालकों पर अनावश्यक बोझ कम होगा।
सरकार का मकसद
नए नियम से सरकार को राजस्व में खास नुकसान नहीं होगा, क्योंकि वर्तमान में लगभग 98% टोल पेमेंट फास्टैग के जरिए ही हो रहा है। सरकार का असली उद्देश्य कैश ट्रांजैक्शन घटाना और यात्रियों के लिए यात्रा को आसान और स्मूथ बनाना है।
सालाना फास्टैग पास – ₹3,000 में 200 बार टोल क्रॉस
इससे पहले 15 अगस्त को सरकार ने नेशनल हाईवे यूजर्स के लिए वार्षिक फास्टैग पास लॉन्च किया था।
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कीमत: ₹3,000
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वैधता: 1 साल
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इस्तेमाल: 200 बार टोल क्रॉस करने की सुविधा
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फायदा: औसतन एक टोल क्रॉस मात्र ₹15 में पड़ेगा।
यह स्कीम देशभर के हाईवे टोल पर भीड़ घटाने और ड्राइवरों को सस्ता विकल्प देने के लिए लाई गई है।
कहां से खरीदें फास्टैग?
फास्टैग खरीदना आसान है।
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किसी भी टोल प्लाज़ा से
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एक्सिस, ICICI, HDFC, SBI, कोटक जैसे बैंकों से
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पेटीएम, अमेज़न, गूगल पे जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से
खरीदते समय वाहन का RC (रजिस्ट्रेशन कार्ड) और ID प्रूफ अनिवार्य होगा।
नए नियम हाईवे यात्रियों के लिए राहत भरे हैं। अगर कभी फास्टैग काम न करे तो अब डबल टोल के बजाय UPI पेमेंट का सहारा लिया जा सकेगा।