टीम इंडिया के दिग्गज खिलाड़ी रोहित शर्मा और विराट कोहली का वनडे टीम में चयन एक बार फिर बहस का विषय बन गया है। पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब दोनों दिग्गज अब केवल एक फॉर्मेट खेल रहे हैं, तो उनकी फॉर्म और फिटनेस का आकलन आखिर कैसे किया गया?
वेंगसरकर का सवाल: “एक फॉर्मेट से आकलन कैसे संभव?”
मिड-डे से बातचीत में वेंगसरकर ने कहा,
“जब कोई खिलाड़ी केवल एक ही फॉर्मेट खेलता है, और वह भी साल में कुछ ही बार, तो उसकी फॉर्म और फिटनेस को जाँचना आसान नहीं होता। अब जबकि रोहित और विराट को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम में शामिल किया गया है, सेलेक्टर्स ने जरूर आकलन किया होगा—but मुझे समझ नहीं आता कैसे।”
उन्होंने कहा कि अब चयनकर्ताओं को भारतीय क्रिकेट के भविष्य को ध्यान में रखकर फैसला लेना होगा कि वे अनुभव पर भरोसा करें या नई शुरुआत करें।
“गिल को सौंपनी चाहिए बागडोर”
वेंगसरकर ने साफ कहा कि अब समय आ गया है कि टीम इंडिया को एक नए लीडर की तलाश करनी चाहिए। उनके मुताबिक,
“शुभमन गिल वनडे और टेस्ट दोनों टीमों के लिए सबसे सही कप्तान हैं। वे टी20 में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। गिल को अब जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।”
गावस्कर की चेतावनी: “सिर्फ 7-8 वनडे काफी नहीं”
पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर ने भी चयन नीति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा,
“आने वाले दो साल में टीम इंडिया बहुत ज्यादा वनडे नहीं खेलेगी। सिर्फ 7-8 वनडे से कोई खिलाड़ी अपनी लय और तैयारी बरकरार नहीं रख सकता। रोहित और विराट जैसे खिलाड़ियों को विजय हजारे ट्रॉफी जैसे घरेलू टूर्नामेंट खेलने होंगे ताकि वे मैच प्रैक्टिस में रहें।”
गावस्कर का मानना है कि अगर कोई खिलाड़ी सिर्फ कुछ सफेद गेंद वाले मैच खेल रहा है, तो घरेलू क्रिकेट में उतरना जरूरी है।
बड़ी तस्वीर: 2027 वर्ल्ड कप तक क्या होगा?
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2027 विश्व कप तक रोहित शर्मा 40 वर्ष के हो जाएंगे।
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विराट कोहली की उम्र 37 वर्ष होगी।
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सवाल यह है कि क्या भारतीय चयनकर्ता तब तक इन दिग्गजों पर भरोसा बनाए रखेंगे या फिर नई पीढ़ी को मौका देंगे।
निष्कर्ष
वेंगसरकर और गावस्कर जैसे दिग्गजों की राय इस ओर इशारा करती है कि आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट को ट्रांजिशन फेज से गुजरना होगा।
सेलेक्टर्स के सामने बड़ा सवाल यही है कि वे अनुभव और स्थिरता को प्राथमिकता देंगे या युवा नेतृत्व और नई शुरुआत को।