40 लाख का फर्जी मेडिकल बिल: स्वास्थ्य विभाग ने की एफआईआर की अनुशंसा, संकुल समन्वयक सस्पेंड

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बिलासपुर – बिल्हा ब्लाक में फर्जी मेडिकल बिल के आधार पर 40 लाख रुपए निकालने के मामले में शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी आदित्य ने बिल्हा ब्लाक में पदस्थ शिक्षक और संकुल समन्वयक साधे लाल पटेल को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही राशि गबन के मामले में शिक्षक के खिलाफ एफआईआर भी कराई जाएगी। जेडी ने इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखते हुए अनुशंसित भी किया है। यह पूरी कार्रवाई जांच कमेटी ने रिपोर्ट के आधार पर की है।

जांच तत्कालीन विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा पर भी नियमानुसार कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। बीईओ आफिस के कर्मचारियों को भी दोषी माना गया है। साथ ही संबंधितों से 6 लाख 74 हजार 70 रुपए वसूली करने भी कहा है। ज्वाइंट डायरेक्टर के मुताबिक सभी पर कार्रवाई होगी। बिल्हा ब्लॉक में पदस्थ और संकुल समन्वयक शिक्षक साधे लाल पटेल ने अपने और परिजनों के नाम पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिल्हा में 40 लाख का फर्जी मेडिकल बिल जमा किया। फर्जी मेडिकल बिल को विभाग ने राज्य कार्यालय को फारवर्ड कर राशि भी मंगा ली।

कुछ राशि का भुगतान होता इसके पहले ही शिकायत हो गई और कुछ बिल को रोक दिया गया। मामले में जांच कमेटी बनाई गई। साथ ही स्वास्थ्य विभाग से बिल जारी करने की पुष्टि की गई। जांच के दौरान में श्रीमती शिल्पा शर्मा कार्या सहायक ग्रेड 3 वि.खं.शि.अधि. बिल्हा की ओर से कहा गया है है कि साधेलाल पटेल शिक्षक संकुल समन्वयक द्वारा भुगतान हेतु जिला कोषालय बिलासपुर प्रेषित किए जाने हेतु काफी दबाव डाला गया। सभी देयक विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिल्हा द्वारा स्वीकृत तो किए गए लेकिन भुगतान हेतु कोषालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है।

जांच प्रतिवेदन के आधार पर कार्रवाई
ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी आदित्य ने बताया कि जांच कमेटी के हायर सेकेंडरी स्कूल बैमा नगाई के प्राचार्य एसके कश्यप व हायर सककेंडरी स्कूल सरकंडा के लिपिक घनश्याम दुबे की रिपोर्ट के साथ ही स्वास्थ्य विभाग का भी प्रतिवेदन मिल गया है। जांच प्रतिवेदन के आधार संकुल समन्वयक साधे लाल पटेल को निलंबित कर दिया है। साथ ही राशि गबन के मामले में शिक्षक के खिलाफ एफआईआर भी कराई जाएगी।

एफआईआर की अनुशंसा
जांच में बात सामने आई है कि इस तरह का कोई बिल स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी ही नहीं किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मामले में एफआईआर की की अनुशंसा भी की थी लेकिन शिक्षा विभाग के आला अधिकारी बचाने में लगे रहे।

स्वास्थ्य विभाग ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि एक भी बिल जारी नहीं किया गया है और किसी में हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं। सभी कूटरचित और फर्जी दस्तावेज हैं जिसमें फर्जी स्टांप और साइन किए गए हैं। खास बात है कि आरोपी शिक्षक ने इस बार अपने और अपनी पत्नी, अपने साले एक जीवित, एक मृत के नाम पर बिल लगाकर पूरा खेल खेला है।

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