हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पदोन्नति निरस्तीकरण के आदेश को बताया अवैध-मनमाना

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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने डीजीपी की तरफ से जारी किए गए पदोन्नति निरस्तीकरण आदेश को अवैध और मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता को उप निरीक्षक के पद पर पदोन्नति दी जाए और सभी परिणामी लाभ तीन माह के भीतर प्रदान किए जाएं।

यह याचिका अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अधिवक्ता दीक्षा गौरहा ने उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। मामले की पैरवी अधिवक्ता दीक्षा गौरहा ने की। याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार साहू उस समय सहायक उप निरीक्षक के पद पर थाना सोनक्यारी, जिला जशपुर में पदस्थ थे। पुलिस मुख्यालय द्वारा 21 मई 2021 को पदोन्नति हेतु पात्रता सूची प्रकाशित की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम क्रमांक 138 पर शामिल था।

लघु दंड का कोई उल्लेख नहीं
न्यायालय ने कहा कि बाद में दी गई लघु सजा को पदोन्नति रद्द करने का आधार नहीं बनाया जा सकता। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पात्रता सूची में केवल गंभीर दंड को ही पदोन्नति को प्रभावित करने वाला माना गया था, जबकि लघु दंड का कोई उल्लेख नहीं था। अतः अधिकारियों द्वारा लघु दंड के आधार पर पदोन्नति निरस्त करना स्व-विरोधाभासी और मनमाना है।

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