दिल्ली-NCR में पटाखों पर बैन, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा

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दिल्ली-एनसीआर में इस साल भी दिवाली पर पटाखों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें ग्रीन पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति मांगी गई थी। कोर्ट ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है।

राज्यों की अपील – “बच्चों को दिवाली का आनंद लेने दें”

सुनवाई के दौरान दिल्ली-एनसीआर से जुड़े राज्यों की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि बच्चों को कम से कम दो दिन दिवाली मनाने की इजाजत मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि रात 8 से 10 बजे तक ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति दी जाए।

पहले भी बैन लागू रहा

याद दिला दें, 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार दिल्ली में पटाखों पर रोक लगाई थी। इसके बाद 2024 में बैन का उल्लंघन होने पर कोर्ट ने सख्त कदम उठाते हुए सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी सिलसिले में दिल्ली सरकार ने दिसंबर 2024 में पूरे साल के लिए पटाखों पर रोक का आदेश जारी किया था।

राज्यों की ओर से रखे गए सुझाव

सुनवाई में दिल्ली-एनसीआर के राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को आठ अहम सुझाव दिए—

  • दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक सिर्फ ग्रीन पटाखों की अनुमति मिले।

  • केवल NEERI द्वारा सर्टिफाइड ग्रीन पटाखे बनाए और बेचे जाएं।

  • लड़ी पटाखे या जॉइंट पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध हो।

  • बिक्री केवल लाइसेंसधारी व्यापारियों के जरिए हो।

  • ऑनलाइन वेबसाइट्स पर पटाखों की बिक्री न हो।

  • क्रिसमस और नए साल पर रात 11:55 से 12:30 बजे तक ग्रीन पटाखों की परमिशन दी जाए।

  • गुरुपुरब पर सुबह 4 से 5 और रात 9 से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे फोड़ने की इजाजत मिले।

  • शादी-ब्याह और अन्य अवसरों पर सीमित दायरे में पटाखों का उपयोग हो सके।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध न तो संभव है और न ही उचित। कोर्ट का सुझाव था कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार, उद्योग जगत और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर कोई व्यावहारिक समाधान लेकर आए।

क्यों बढ़ता है विवाद?

दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण हर साल दिवाली के आसपास खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। इस बार भी 14 अक्टूबर से GRAP-1 लागू करना पड़ा है। इसमें होटलों में कोयला-लकड़ी के इस्तेमाल पर रोक, पुरानी पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर निगरानी और सड़क निर्माण के दौरान धूल रोकने के उपाय शामिल हैं।

AQI की भयावह स्थिति

इस समय दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के कई शहरों में AQI 300 से ऊपर चला गया है। यह स्तर बेहद खतरनाक माना जाता है और लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली पर पटाखों से यह स्थिति और भी खराब हो सकती है।


अब सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट पटाखों को लेकर सख्ती जारी रखेगा या फिर बच्चों की खुशियों को देखते हुए सीमित परमिशन देगा? फैसला आने वाले दिनों में साफ होगा।


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