सर्दियों के मौसम में या फिर जब हम घरों के अंदर समय बिताते हैं, तब शरीर में विटामिन डी की कमी होना आम बात है। अक्सर लोग मानते हैं कि विटामिन डी केवल धूप से ही मिलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर को इस महत्वपूर्ण पोषक तत्व की जरूरत पूरी करने के और भी तरीके हैं?
दरअसल, विटामिन डी सिर्फ हड्डियों को मजबूत नहीं बनाता, बल्कि यह इम्यून सिस्टम, मांसपेशियों और मूड को भी संतुलित रखता है। अगर इसकी कमी हो जाए तो थकान, जोड़ों में दर्द और कमजोरी जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इसलिए एक अध्ययन में पाया गया कि शहर में रहने वाले लोगों में विटामिन डी की कमी आम होती जा रही है।
शरीर में कमी के लक्षण पहचानें
विटामिन डी की कमी धीरे-धीरे असर दिखाती है, इसलिए इसे समय रहते पहचानना बेहद जरूरी है।
- हमेशा थकान या कमजोरी महसूस होना
- हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द
- मूड में उतार-चढ़ाव या डिप्रेशन महसूस होना
- बार-बार सर्दी-जुकाम होना
- नींद पूरी होने के बाद भी सुस्ती रहना
- अगर इनमें से कोई भी लक्षण लगातार बने रहें, तो डॉक्टर से जांच करवाना बेहतर होता है।
धूप का महत्व क्या है
सुबह की हल्की धूप शरीर में विटामिन डी बनने का सबसे प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है। सूर्य की किरणों में मौजूद अल्ट्रावायलेट बी (UVB) किरणें त्वचा के संपर्क में आने पर विटामिन डी का निर्माण करती हैं। हालांकि, कई बार मौसम, प्रदूषण, सनस्क्रीन या घर के अंदर रहने की आदतों की वजह से पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती। ऐसे में केवल धूप पर निर्भर रहना शरीर की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाता।
आहार में शामिल करें ये चीजें
- धूप के अलावा विटामिन डी के कई आहार स्रोत भी मौजूद हैं, जिन्हें नियमित रूप से खाने से इसकी कमी को दूर किया जा सकता है।
- दूध और डेयरी उत्पाद: दूध, दही और पनीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा होती है।
- अंडे की जर्दी: अंडे के पीले भाग में यह पोषक तत्व भरपूर पाया जाता है।
- मछली: सैल्मन, टूना और सार्डिन जैसी मछलियाँ विटामिन डी के सबसे अच्छे प्राकृतिक स्रोत हैं।
- मशरूम: कुछ विशेष प्रकार के मशरूम में प्राकृतिक रूप से विटामिन डी मौजूद होता है, खासकर जब वे धूप में रखे गए हों।
- फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ: आजकल कई खाद्य वस्तुएं जैसे अनाज, सोया दूध और जूस विटामिन डी से भरपूर बनाए जाते हैं।
हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है विटामिन डी
विटामिन डी कैल्शियम को शरीर में अवशोषित करने में मदद करता है। अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो, तो कैल्शियम भी सही तरह से काम नहीं कर पाता, जिससे हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं। यही कारण है कि बच्चों और बुजुर्गों को अक्सर डॉक्टर विटामिन डी की दवाएं या सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं।
सप्लीमेंट्स का सेवन
अगर धूप और आहार से पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पा रहा है, तो सप्लीमेंट लेना एक विकल्प हो सकता है। हालांकि, इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में लेने से शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ सकता है जो हानिकारक साबित हो सकता है। डॉक्टर आपकी जांच के अनुसार उचित मात्रा तय करते हैं।
जीवनशैली में छोटे बदलाव से मिले बड़ा फायदा
विटामिन डी की कमी को केवल दवाओं से नहीं, बल्कि जीवनशैली में कुछ छोटे बदलाव करके भी पूरा किया जा सकता है।
- सुबह या शाम के समय कुछ देर टहलना
- ऑफिस या घर में खिड़कियों के पास बैठना
- तले हुए या प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचना
- शरीर को सक्रिय रखना और व्यायाम करना
- इन छोटे कदमों से शरीर न केवल स्वस्थ रहता है, बल्कि प्राकृतिक तरीके से विटामिन डी का स्तर भी संतुलित बना रहता है।
मन और शरीर दोनों के लिए जरूरी है विटामिन डी
विटामिन डी को “सनशाइन विटामिन” कहा जाता है, क्योंकि यह सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि मन के लिए भी जरूरी है। रिसर्च के अनुसार, इसकी कमी से डिप्रेशन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। इसलिए अगर आप हमेशा थके-थके महसूस करते हैं या मन उदास रहता है, तो इसका कारण विटामिन डी की कमी भी हो सकती है।
(Disclaimer): यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। विटामिन डी की कमी, इसके इलाज, खुराक या सप्लीमेंटेशन के संबंध में किसी भी निर्णय से पहले कृपया योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।