छत्तीसगढ़ में मौसम का मिज़ाज अचानक बदल गया है। ठंडी उत्तरी हवाओं के चलते तापमान तेजी से नीचे गिर रहा है। पेंड्रा और अमरकंटक क्षेत्र इस समय सबसे अधिक ठंड की चपेट में हैं। इस सीजन में पहली बार पेंड्रा का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे उतरकर 9 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। घना कोहरा छाने लगा है और विजिबिलिटी इतनी कम हो गई है कि सुबह के समय सड़कें धुंध में खोई नजर आ रही हैं। गांवों से लेकर कस्बों तक लोग अलाव का सहारा लेकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दो दिनों में राज्य के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान में 1 से 3 डिग्री तक की और गिरावट हो सकती है। सरगुजा संभाग के कई इलाकों में कोल्ड वेव यानी शीतलहर चलने की आशंका जताई गई है। पिछले 24 घंटे में जहां दुर्ग और जगदलपुर का अधिकतम तापमान 30.6 डिग्री सेल्सियस तक रहा, वहीं अंबिकापुर का न्यूनतम तापमान 10.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
स्वास्थ्य पर पड़ सकता है असर, मलेरिया का खतरा बढ़ा
मौसम विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विभाग की चिंता सिर्फ ठंड तक सीमित नहीं है। तापमान में उतार-चढ़ाव और नमी बढ़ने से मलेरिया फैलने की संभावना भी बढ़ गई है। डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह के मौसम में मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ती है, जिससे मलेरिया संक्रमण का खतरा भी ज्यादा हो जाता है। खासकर ग्रामीण इलाकों, जंगल क्षेत्रों और पानी जमा होने वाली जगहों में इसका प्रभाव अधिक दिख सकता है।
डॉ. विकास अग्रवाल का कहना है कि तापमान तेजी से गिर रहा है और इससे बीमार होने के मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि शाम के समय घरों में मच्छरदानी लगाएं, कॉइल या लिक्विड का इस्तेमाल करें, पूरी बांह के कपड़े पहनें और बच्चों को भी गर्म कपड़ों से ढककर रखें। अगर बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द या बदन दर्द जैसे लक्षण महसूस हों तो तुरंत ब्लड टेस्ट कराना जरूरी है।
किसानों के लिए राहत, लेकिन सतर्कता भी जरूरी
इस मौसम ने जहां आम लोगों को परेशान किया है, वहीं किसानों के लिए राहत की खबर भी लाई है। रबी फसलों के लिए यह मौसम काफी अनुकूल माना जा रहा है। सुबह हल्की धुंध, कोहरा और ठंडी रातें गेहूं, चना जैसी फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं। लेकिन ठंड बढ़ने के साथ खेतों में सुबह जल्दी काम करने वालों को सावधानी बरतनी होगी।
मलेरिया के लिए अनुकूल तापमान
मौसम विज्ञान विभाग की हेल्थ एडवाइजरी के मुताबिक 7 से 11 नवंबर के बीच भारत के कुछ हिस्सों में मलेरिया फैलने की संभावना ज्यादा है। जब दिन का तापमान 33 से 39 डिग्री और रात का 14 से 19 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, तो मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लिए यह सबसे अनुकूल परिस्थिति होती है। छत्तीसगढ़ में फिलहाल यही स्थिति है, इसलिए यहां संक्रमण का खतरा बढ़ा हुआ माना जा रहा है। खासकर प्लास्मोडियम विवैक्स यानी बार-बार होने वाला मलेरिया फिलहाल ज्यादा सक्रिय हो सकता है।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा जोखिम
छत्तीसगढ़ के अलावा पूर्वोत्तर के राज्य जैसे असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, तथा गुजरात, बिहार, झारखंड, ओडिशा, नागालैंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी मलेरिया का खतरा बढ़ा हुआ है।
अक्टूबर में सामान्य से ज्यादा बारिश
इस बार मानसून 15 अक्टूबर तक छत्तीसगढ़ से लौट गया, लेकिन उसके बाद भी बारिश का सिलसिला जारी रहा। 1 से 26 अक्टूबर के बीच प्रदेश में 89.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य से करीब 59% ज्यादा है। इस अतिरिक्त नमी की वजह से भी मच्छरों के पनपने के लिए हालात अनुकूल हुए हैं।