जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के समर्थन और पाकिस्तान से जुड़े नेटवर्क पर सुरक्षा एजेंसियों ने एक साथ बड़ी कार्रवाई शुरू की है। कठुआ जिले में दो पुलिस अधिकारियों — अब्दुल लतीफ और मोहम्मद अब्बास — को आतंकियों के संपर्क में रहने और उनकी मदद करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। अब्दुल लतीफ के खिलाफ FIR दर्ज है और वह फिलहाल डोडा जेल में बंद है, जबकि मोहम्मद अब्बास पर भी चार मामले दर्ज हैं। इन दोनों पर आरोप है कि वे आतंकी तत्वों को मदद पहुंचा रहे थे और उनकी गतिविधियों पर पर्दा डालते रहे।
इस बीच, कश्मीर घाटी में पुलिस, काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) और NIA ने संयुक्त अभियान चलाकर 120 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई ऐसे खुफिया इनपुट के आधार पर की गई जिसमें बताया गया था कि जेल में बंद आतंकियों और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में बैठे आतंकी भारत में अपने रिश्तेदारों और संपर्कों के माध्यम से नेटवर्क चला रहे हैं। बडगाम, कुलगाम, शोपियां और गांदरबल जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर तलाशी की गई, जहां से मोबाइल फोन, सिम कार्ड, डिजिटल डिवाइस और कई दस्तावेज जब्त किए गए। सिर्फ गांदरबल में ही 60 से अधिक घरों की तलाशी ली गई, जो या तो जेल में बंद आतंकियों या पाक समर्थित आतंकियों के परिवारों के थे।
जांच एजेंसियां अब जब्त डिवाइसों को फॉरेंसिक जांच, डेटा डिक्रिप्शन और डिजिटल माइनिंग के लिए भेज रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि संदिग्ध केवल संपर्क में थे या आतंकियों की भर्ती, फंडिंग और पनाह देने जैसी गतिविधियों में भी शामिल थे। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स, बैंक लेन-देन और मोबाइल कॉल रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। अगर नए सुराग सामने आते हैं तो जांच और गिरफ्तारियां भी बढ़ाई जा सकती हैं।
इसी दौरान एलओसी के केरन सेक्टर में एक बड़ी घुसपैठ कोशिश को सेना ने नाकाम कर दिया। खुफिया सूचना के आधार पर हुए ऑपरेशन में दो आतंकियों को गोली मार दी गई। ये आतंकी घुसपैठ कर भारतीय सीमा में घुसना चाहते थे, लेकिन सतर्क जवानों ने समय रहते उन्हें ढेर कर दिया।
यह पूरी कार्रवाई इस बात का संकेत है कि सुरक्षा एजेंसियां अब केवल सीमा पर नहीं, बल्कि आंतरिक तंत्र में छिपे उन तत्वों को भी निशाने पर ले रही हैं जो आतंकी गतिविधियों का समर्थन करते हैं। पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा, फंडिंग और स्थानीय नेटवर्क की कमर तोड़ने के लिए यह सबसे व्यापक ऑपरेशन माना जा रहा है।