रिटेल महंगाई 1% से भी नीचे आ सकती है: सब्जियां, दालें और चावल तक हुए सस्ते; 6 महीने से लगातार गिर रहा है जरूरी चीजों का इंडेक्स

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देश में खुदरा महंगाई यानी रिटेल इंफ्लेशन तेजी से घट रही है और अब इसके 1% से भी नीचे जाने की संभावना जताई जा रही है। बैंक ऑफ बड़ौदा के हालिया विश्लेषण के अनुसार, अक्टूबर में रिटेल महंगाई सिर्फ 0.4% से 0.6% के बीच रह सकती है, जबकि सितंबर में यह 1.5% पर थी। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, दालों और अनाज के दामों में भारी कमी के कारण आई है।

अक्टूबर में सब्जियों के दाम में 51%, दालों में 29% और चावल में 1.2% की गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट बताती है कि बीते महीने मंडियों में सब्जियों की आवक में लगभग 30% की बढ़ोतरी हुई, जिससे आपूर्ति बढ़ी और दाम नीचे आए। दिलचस्प बात यह है कि नवंबर के शुरुआती छह दिनों में भी यही ट्रेंड जारी रहा है।

छह महीने से गिर रहा है जरूरी चीजों का इंडेक्स
बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा तैयार ‘एसेंशियल कमोडिटीज इंडेक्स’ लगातार छठे महीने गिरा है। अक्टूबर में यह इंडेक्स एक साल पहले के मुकाबले 3.6% नीचे आया, जबकि नवंबर के पहले सप्ताह में इसमें और 3.8% की गिरावट दर्ज की गई। यह इंडेक्स 20 आवश्यक वस्तुओं जैसे सब्जियां, दालें, अनाज, तेल और चीनी के भाव पर आधारित है।

सबसे ज्यादा गिरावट टमाटर, प्याज और आलू (TOP) की कीमतों में देखने को मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, प्याज के दाम दिसंबर 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।

बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता का कहना है कि “देश में अच्छी फसल, कृषि जिंसों जैसे चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी और हाल में जीएसटी दरों में की गई कटौती के कारण घरेलू महंगाई पर दबाव लगातार घट रहा है। हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में भी रिटेल महंगाई कम ही रहेगी।”

सब्जियों की कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट
अक्टूबर में प्याज के दाम 51%, टमाटर के 40% और आलू के 31% गिरे। प्याज की कीमतों में यह गिरावट पिछले पांच वर्षों की सबसे बड़ी है। वहीं, इस महीने से नए आलू की आवक शुरू हो गई है, जिससे आपूर्ति और बढ़ेगी। हालांकि शुरुआती हफ्तों में नया आलू थोड़ा महंगा रहता है।

अनाज में मिश्रित रुझान
चावल के दाम इस साल अप्रैल से लगातार घट रहे हैं और अक्टूबर में भी 1.2% की गिरावट देखी गई। दूसरी ओर, आटे की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। अक्टूबर में आटा 1.9% महंगा हुआ, जो गेहूं की सीमित उपलब्धता का परिणाम माना जा रहा है।

दालों की कीमतों में आठ साल की सबसे बड़ी गिरावट
दालों के भावों में भी बड़ी राहत देखने को मिली। अरहर दाल के दाम 29% तक गिरे — यह जनवरी 2018 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। अन्य दालों जैसे मसूर और मूंग में भी उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

खाद्य तेलों में भी राहत, मूंगफली तेल सबसे ज्यादा सस्ता
खाने के तेलों में भी तेजी से राहत आई है। सरसों तेल की महंगाई 16%, सोया तेल की 8%, और सूरजमुखी तेल की 17% तक सीमित रही, जबकि सितंबर में ये दरें 31% तक थीं। सामान्य ट्रेंड के विपरीत, मूंगफली तेल अक्टूबर में 2.5% और नवंबर के पहले हफ्ते में 4.4% सस्ता हुआ।

महंगाई घटने की तीन प्रमुख वजहें:

  1. कृषि उत्पादन में सुधार: बेहतर मानसून और बढ़ी फसल से आपूर्ति मजबूत हुई।

  2. वैश्विक कीमतों में गिरावट: चावल और खाद्य तेल जैसे कमोडिटीज की अंतरराष्ट्रीय कीमतें नीचे आईं।

  3. सरकारी नीतिगत कदम: जीएसटी में कटौती और वितरण व्यवस्था में सुधार से बाजार स्थिर हुआ।

आगे का अनुमान:
इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि आने वाले महीनों में महंगाई 1% से नीचे रह सकती है। सब्जियों और अनाज की भरपूर आपूर्ति से नवंबर और दिसंबर में भी राहत जारी रहेगी। इससे आम उपभोक्ता को फायदा होगा और साथ ही रिजर्व बैंक (RBI) पर ब्याज दरें घटाने का दबाव भी कम होगा।

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