नेहरु आर्ट गैलरी में श्री हुकुम लाल वर्मा द्वारा निर्मित पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी का आयोजन

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सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के जनसंपर्क विभाग द्वारा संचालित, इंदिरा प्लेस, सिविक सेंटर स्थित नेहरू आर्ट गैलरी में वरिष्ठ चित्रकार श्री हुकुम लाल वर्मा द्वारा निर्मित पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी का उद्घाटन 20 नवम्बर 2025 को संध्याकाल मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएँ-वाणिज्यिक) श्री अनुराग उपाध्याय द्वारा किया जाएगा।      

यह तीन दिवसीय पेंटिंग्स प्रदर्शनी 20 से 22 नवम्बर 2025 तक प्रतिदिन संध्या 5.30 बजे से रात्रि 8.30 बजे तक आम जनता के अवलोकनार्थ खुली रहेगी।     

1970 में राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में जन्मे श्री हुकुम लाल वर्मा वर्तमान में खैरागढ़ जिले में निवासरत हैं। उन्होंने 1997 में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से एमएफए (मास्टर इन फाइन आर्ट्स) की उपाधि प्राप्त की। समकालीन भारतीय कला में संलग्न रहे  श्री वर्मा की कृतियों में भावनात्मक गहनता, भारतीय सांस्कृतिक सौंदर्य और मौलिक दृश्य अभिव्यक्ति सहज रूप से प्रकट होती है। उनकी कृतियाँ देश की प्रमुख कला दीर्घाओं त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली, जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई, श्रीधराणी गैलरी, नई दिल्ली, “रूपाभ” श्रृंखला, भारत भवन, भोपाल, एमईसी आर्ट गैलरी, नई दिल्ली, स्थित नेहरू आर्ट गैलरी, भिलाई में प्रदर्शित हो चुकी हैं| साथ ही उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भाग लिया तथा कई समूह प्रदर्शनियों में उनके पेंटिंग को चयनित भी किया गया है| 

उल्लेखनीय है कि श्री हुकुम लाल वर्मा की कला को अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया जिनमें 7वाँ भारत भवन बायेनियल पुरस्कार, भोपाल (2018), वरिष्ठ फेलोशिप, भारत सरकार (2016–17), कनिष्ठ फेलोशिप, भारत सरकार (2008–09) तथा एआईएफएसीएस, नई दिल्ली का ऑल इंडिया अवॉर्ड (2003) आदि शामिल है| 

इसके अतिरिक्त उन्होंने 2001 से 2022 के दौरान ललित कला अकादमी, एआईएफएसीएस, भारत भवन, कला अकादमी (छत्तीसगढ़) आदि संस्थाओं द्वारा आयोजित अनेक राष्ट्रीय कलाकार शिविरों में सहभागिता की|  उनकी कृतियाँ कई प्रतिष्ठित संग्रहालयों और संस्थागत संग्रहों ललित कला अकादमी (नई दिल्ली), भारत भवन (भोपाल), आईकेएसवीवी (खैरागढ़), मुलर एंड प्लेट (म्यूनिख, जर्मनी), भिलाई स्टील प्लांट, संस्कृति विभाग (छत्तीसगढ़ शासन), राष्ट्रीय ललित कला केंद्र (भुवनेश्वर), तथा भारत और विदेशों के अनेक निजी संग्रह में सुरक्षित हैं|

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