प्रोटीन से भरपूर चना दाल हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं—कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में इसका सेवन परेशानी को और बढ़ा सकता है।
सर्दियों में जब शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा और प्रोटीन की जरूरत होती है, तब लोग दालों पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। चना दाल अपनी पौष्टिकता, स्वाद और तासीर की वजह से अक्सर रोज़ की थाली में शामिल कर ली जाती है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर किसी के लिए यह उतनी ही फायदेमंद साबित हो। कई स्वास्थ्य स्थितियों में चना दाल का सेवन फायदे के बजाय नुकसान खड़ा कर सकता है और पाचन से लेकर ब्लड शुगर तक असर डाल सकता है। बिना विचार किए इसे रोज़ाना खाने की आदत कई बार शरीर को असहज बना देती है।
सबसे पहले उन लोगों की बात करें जिनका पाचन तंत्र कमजोर है। चना दाल में मौजूद भारी मात्रा का फाइबर, कमजोर डाइजेशन वाले व्यक्तियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। इसे खाने के बाद पेट में भारीपन, गैस और अपच जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं, खासकर सर्दी के मौसम में जब पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। इसी तरह, जिन लोगों को गैस, एसिडिटी या पेट की सूजन की समस्या रहती है, वे भी चना दाल से दूर ही रहें, क्योंकि यह फूड गैस बनाने वाली चीजों में गिना जाता है और पहले से मौजूद परेशानी को और उभार सकता है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह दाल हमेशा सुरक्षित नहीं होती। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भले ही कम हो, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने पर ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। ऐसे लोग जो शुगर कंट्रोल में रखते हैं, उनके लिए चना दाल का ज्यादा सेवन प्रबंधन को मुश्किल बना सकता है, इसलिए इसे मॉनिटरिंग के साथ ही डाइट में शामिल किया जाना चाहिए।
किडनी से जुड़ी बीमारियों वाले लोग भी सावधान रहें। चना दाल में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है और किडनी रोगियों को प्रोटीन की खपत सीमित रखनी होती है, क्योंकि अधिक प्रोटीन किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल देता है। यही वजह है कि किडनी मरीजों को डॉक्टर की स्पष्ट सलाह के बिना चना दाल खाने से बचना चाहिए।
यही नहीं, जिन व्यक्तियों को गाउट, जोड़ों का दर्द या यूरिक एसिड की समस्या रहती है, उनके लिए भी चना दाल परेशानी बढ़ा सकती है। इसमें पाए जाने वाले प्यूरीन शरीर में पहुंचकर यूरिक एसिड स्तर को बढ़ा देते हैं, जिससे पहले से मौजूद दर्द और भी अधिक उभर सकता है। ऐसी स्थिति में लो-प्यूरीन दालें जैसे मूंग दाल या अरहर दाल सुरक्षित विकल्प मानी जाती हैं।
यह समझना जरूरी है कि हर खाद्य पदार्थ हर व्यक्ति के लिए समान असर नहीं करता। चना दाल पौष्टिक है, लेकिन स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार इसका चयन ही समझदारी है। किसी भी तरह की समस्या या बीमारी में बिना विशेषज्ञ की सलाह इसे डाइट में शामिल करना जोखिमपूर्ण हो सकता है।