फ्लश डोर हैंडल—प्रीमियम लुक वाला फीचर, लेकिन सुरक्षा पर बड़ा सवाल…जानिए क्यों बढ़ रही हैं चिंताएं

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टाटा और महिंद्रा की नई कारों में दिखने लगे फ्लश डोर हैंडल—स्मार्ट डिजाइन के साथ छिपे हैं चार बड़े सेफ्टी रिस्क।

आजकल ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी कारों को ज्यादा प्रीमियम, मॉडर्न और एरोडायनामिक बनाने की रेस में हैं। इसी कोशिश का हिस्सा हैं फ्लश डोर हैंडल, जो कार के दरवाजे की सतह में पूरी तरह समा जाते हैं और बाहर से लगभग दिखाई ही नहीं देते। टाटा अल्ट्रोज़, महिंद्रा XUV700 जैसी कारें इस आधुनिक फीचर को अपनाकर भविष्य की डिजाइन भाषा की ओर बढ़ चुकी हैं। लेकिन यह स्टाइलिश इनोवेशन जितना आकर्षक दिखता है, उतना ही बड़ी सुरक्षा चिंताएं भी पैदा करता है।

फ्लश डोर हैंडल दरवाजे के साथ बिल्कुल समतल रहते हैं, और जरूरत पड़ने पर ही बाहर आते हैं। इसका उद्देश्य कार की एरोडायनामिक्स और डिजाइन को स्मूथ बनाना है। पहले यह फीचर सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों में मिलता था, लेकिन अब पेट्रोल-डीजल मॉडल भी इसे अपनाने लगे हैं। हालांकि, जितना शानदार इसका डिजाइन है, उतनी ही गंभीर चुनौतियाँ इसके उपयोग में सामने आई हैं।

सबसे पहली चुनौती है इलेक्ट्रॉनिक फेल्योर का खतरा। ये हैंडल पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक मेकैनिज़्म पर आधारित हैं। अगर बैटरी डिस्चार्ज हो जाए या सिस्टम फेल हो जाए, तो हैंडल बाहर नहीं आते और दरवाजा लॉक ही रह जाता है। ऐसी स्थिति में अंदर बैठे लोग फंस सकते हैं, और रेस्क्यू टीम को कार खोलने में अतिरिक्त समय लग सकता है—जो दुर्घटना जैसी स्थितियों में बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

दूसरी बड़ी समस्या है इमरजेंसी में मैनुअल रिलीज ढूंढने की मुश्किल। कंपनियां भले ही फ्लश हैंडल के साथ बैकअप मैनुअल ओपनिंग देती हों, लेकिन यह इतनी छिपी जगह पर होती है कि सामान्य स्थिति में भी इसे खोजना आसान नहीं। पानी भरने, दुर्घटना या घबराहट के समय इसे ढूंढना और भी कठिन हो जाता है। नतीजतन, कार से बाहर निकलना चुनौती बन जाता है।

कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि हैंडल अचानक बाहर आने या खींचते समय उंगलियों के फंस जाने जैसी घटनाएँ हुई हैं, जिससे इनका चोट का जोखिम भी बढ़ जाता है। यह डिजाइन भले शानदार हो, लेकिन उपयोग में सावधानी न बरती जाए तो नुकसानदेह साबित हो सकता है।

सबसे खतरनाक स्थिति तब बनती है जब कार साइड से टकरा जाए या भारी बारिश, बाढ़ जैसी परिस्थिति में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट प्रभावित हो जाए। ऐसे में शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ जाता है और हैंडल पूरी तरह निष्क्रिय हो सकता है। अंदर बैठा यात्री बाहर निकल ही न पाए—यह जोखिम फ्लश डोर हैंडल से जुड़ी सबसे गंभीर चिंता है।

निष्कर्ष साफ है—फ्लश डोर हैंडल भले कारों को शानदार लुक देते हों, लेकिन सुरक्षा हमेशा स्टाइल से ऊपर होती है। अगर ऑटोमोबाइल कंपनियां इस फीचर को आगे बढ़ाना चाहती हैं, तो उन्हें अधिक विश्वसनीय मैनुअल सिस्टम, मजबूत बैकअप मेकैनिज़्म और कड़े सुरक्षा मानक अपनाना होंगे। तभी यह फ्यूचरिस्टिक डिजाइन वास्तविक सुरक्षा के साथ संतुलित हो सकेगा।

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