स्टील उद्योग के ग्लोबल महारथी और आर्सेलर मित्तल के मालिक लक्ष्मी मित्तल अब ब्रिटेन को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। द संडे टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि लेबर पार्टी की नई सरकार द्वारा अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की योजनाओं ने मित्तल जैसे सुपर–रिच व्यक्तियों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ वे ब्रिटेन के आठवें सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते हैं, लेकिन टैक्स स्ट्रक्चर में होने वाले बड़े बदलावों ने उनके फैसले को प्रभावित किया है।
सबसे बड़ी चिंता 20% ‘एग्जिट टैक्स’ की है, जिसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि वित्त मंत्री रेचल रीव्स आगामी 26 नवंबर के बजट में इसकी घोषणा कर सकती हैं। इसके अलावा ब्रिटेन पहले ही कैपिटल गेन टैक्स को 2025 में 10% से बढ़ाकर 14% और 2026 में 18% करने का फैसला ले चुका है। विदेशी अमीरों के बीच सबसे विवादित टैक्स इनहेरिटेंस टैक्स है—जो ब्रिटेन में 40% तक लगता है। इसके उलट दुबई और स्विट्जरलैंड में इनहेरिटेंस टैक्स शून्य है। यही कारण है कि मित्तल समेत कई वैश्विक बिजनेस फैमिलीज़ इन देशों में शिफ्ट होने की योजना बना रही हैं।
मित्तल के सलाहकारों का कहना है कि इनहेरिटेंस टैक्स की यही कठोरता बड़े कारोबारियों को सबसे ज्यादा परेशान करती है। उनका सवाल है कि जब किसी की संपत्ति दुनिया भर में हो, तो ब्रिटेन पूरी वैश्विक संपत्ति पर टैक्स क्यों लगाए? इसी चिंता ने पिछले कुछ महीनों में अमीरों का पलायन बढ़ा दिया है। अप्रैल में नॉन-डॉम स्टेटस खत्म करने के बाद कई विदेशी उद्योगपति ब्रिटेन छोड़ने का निर्णय ले चुके हैं।
मित्तल पहले से ही दुबई में एक भव्य हवेली रखते हैं और खबरों के अनुसार UAE के ना आइलैंड पर जमीन भी खरीद चुके हैं। यही नहीं, स्विट्जरलैंड भी उनके संभावित नए बेस के रूप में चर्चा में है। इन दोनों देशों में टैक्स ढांचा काफी अनुकूल है, इसलिए दुनिया के बड़े-बड़े औद्योगिक परिवार वहां शिफ्ट हो रहे हैं। ब्रिटेन में नीति और टैक्स को लेकर अनिश्चितता इतनी बढ़ गई है कि रेवोलूट के को-फाउंडर निक स्टोरोंस्की और इम्प्रोबेबल AI के मालिक हरमन नरूला जैसे बड़े नाम पहले ही UAE शिफ्ट हो चुके हैं।
ब्रिटेन के लिए यह प्रवृत्ति चिंता का विषय है, क्योंकि मित्तल जैसे उद्योगपति सिर्फ टैक्स ही नहीं देते, बल्कि रोजगार, निवेश और आर्थिक स्थिरता में भी बड़ा योगदान रखते हैं। लेबर सरकार कर्ज कम करने और वेलफेयर खर्च बढ़ाने के लिए टैक्स बढ़ा रही है, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उल्टा असर हो सकता है और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक नुकसान पहुंच सकता है।
लक्ष्मी मित्तल 1995 में लंदन आए थे और देखते ही देखते ब्रिटेन के सबसे बड़े भारतीय कारोबारियों में शामिल हो गए। केंसिंग्टन पैलेस गार्डन्स जैसे महंगे इलाके—जिसे बिलियनेयर्स रो कहा जाता है—में उनकी कई संपत्तियाँ हैं, जिनमें मशहूर “ताज मित्तल” भी शामिल है। हालांकि लंदन में उनकी प्रॉपर्टीज और उपस्थिति बनी रहेंगी, लेकिन उनका मूल बेस अब धीरे-धीरे दुबई या स्विट्जरलैंड की ओर शिफ्ट होता दिख रहा है। माना जा रहा है कि यह कदम वे आने वाली पीढ़ी को भारी-भरकम इनहेरिटेंस टैक्स से बचाने के लिए ले रहे हैं।
ब्रिटेन में टैक्स का बढ़ता बोझ, आर्थिक नीतियों में अनिश्चितता और अमीरों के लिए कम आकर्षक माहौल—ये सभी कारण मिलकर ब्रिटेन से पूंजी और टैलेंट के पलायन को तेज कर रहे हैं। मित्तल का फैसला इसकी सबसे बड़ी मिसाल है।