Apple के मौजूदा CEO टिम कुक अब अगले साल रिटायरमेंट की तैयारी में हैं। टेक इंडस्ट्री में यह चर्चा तेजी से बढ़ रही है कि 2026 में आने वाला फोल्डेबल iPhone कुक के कार्यकाल का अंतिम बड़ा प्रोडक्ट हो सकता है। 1998 में जब Apple अस्तित्व के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा था, उसी समय कुक ने एक सुरक्षित नौकरी छोड़कर कंपनी से जुड़ने का फैसला किया। उस दौर में कई लोगों ने इसे “मूर्खतापूर्ण कदम” कहा, लेकिन यही निर्णय आगे चलकर Apple की किस्मत बदलने वाला साबित हुआ।
टिम कुक के जीवन की शुरुआत बेहद साधारण थी। अलबामा के एक साधारण परिवार में जन्मे कुक की सोच को बचपन में ही पिता ने यह सिखाकर मजबूत किया कि “कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता।” सिर्फ 12 साल की उम्र में वे पॉकेट मनी के लिए अखबार बेचने लगे थे। सुबह 3 बजे उठकर अखबार बांटने के बाद ही वे स्कूल जाते थे। 16 की उम्र में जब उनके पास टाइपराइटर खरीदने के पैसे नहीं थे, तब उन्होंने पूरा निबंध हाथ से लिखकर भेजा और प्रतियोगिता जीत भी ली। यह उनकी धैर्य, मेहनत और निरंतरता की पहचान थी।
कुक का असली सफर 1998 में Apple में प्रवेश से शुरू होता है। स्टीव जॉब्स के बुलावे पर वे सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बने और सीधे ऑपरेशन्स तथा ग्लोबल सप्लाई चेन संभाली—Apple के सबसे कमजोर क्षेत्रों में से एक। उस समय कंपनी का वैल्युएशन सिर्फ 3.02 बिलियन डॉलर था। कुक के आने के बाद Apple ने सप्लाई चेन को इतना चुस्त बनाया कि 2005 तक वे COO बन गए और जॉब्स के साथ मिलकर iPhone, iPad जैसे क्रांतिकारी प्रोडक्ट लॉन्च किए। 2011 में जॉब्स के निधन के बाद उन्होंने CEO की कमान संभाली और Apple को इतिहास की सबसे मूल्यवान कंपनी बना दिया। आज Apple का मार्केट कैप 360 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।
कुक की लीडरशिप का प्रभाव आंकड़ों से समझा जा सकता है। उनके 14 साल के नेतृत्व में Apple की वार्षिक बिक्री 9.6 लाख करोड़ से बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपए हो गई। मुनाफा 3 लाख करोड़ से 12 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया। Apple के मार्केट कैप में उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 89 लाख करोड़ रुपए का इजाफा किया। औसतन हर दिन Apple की वैल्यू में 6,273 करोड़ रुपए जोड़ना किसी अन्य CEO के लिए लगभग असंभव कारनामा रहा है। शेयरधारकों को अमीर बनाने के मामले में पूरे विश्व में केवल Nvidia के जेन्सन हुआंग ही कुक से आगे हैं।
टिम कुक का निजी जीवन भी उतना ही सादगीभरा है जितनी उनकी सोच। करीब 23 हजार करोड़ रुपए की नेटवर्थ होने के बावजूद उनके पास न लग्जरी कारों का कलेक्शन है, न आलीशान बंगलों की भरमार। 2014 में उन्होंने सार्वजनिक रूप से बताया कि वे समलैंगिक हैं और LGBTQ+ समुदाय के लिए आवाज़ उठाते रहे। अपने करीबी स्टीव जॉब्स को उन्होंने 2009 में लिवर देने की पेशकश भी की थी, लेकिन जॉब्स ने इसे स्वीकार नहीं किया। काम के प्रति उनकी गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगता है कि वे रोज़ सुबह 5 बजे उठते हैं, सैकड़ों ईमेल खुद पढ़ते हैं और व्यस्त शेड्यूल के बावजूद जिम और ऑफिस दोनों से समय निकालते हैं।
कुक की यात्रा यह बताती है कि किस तरह एक साधारण परिवार का लड़का कड़ी मेहनत, ईमानदार नेतृत्व और बड़ी सोच के बल पर Apple जैसी विशाल कंपनी को दुनिया की नंबर-वन टेक दिग्गज बना सकता है। 2026 में उनका रिटायरमेंट Apple के एक युग के अंत जैसा होगा—वह युग जो जॉब्स की दृष्टि और कुक की स्थिर नेतृत्व क्षमता से मिलकर खड़ा हुआ था। संभावनाएं यही हैं कि उनका आखिरी बड़ा प्रोजेक्ट फोल्डेबल iPhone ही होगा, जिसके बाद वे कमान किसी नई पीढ़ी के हाथों सौंप सकते हैं।