विटामिन D शरीर के उन दुर्लभ पोषक तत्वों में से है, जिसे हमारा शरीर खुद बना सकता है। जैसे पौधे सूर्य से ऊर्जा लेकर भोजन बनाते हैं, वैसे ही हमारी त्वचा धूप की मदद से विटामिन D तैयार करती है।
लेकिन ठंड के मौसम में धूप कम मिलने के कारण इसके स्तर में कमी आ जाती है। दिन छोटे होते हैं, लोग अधिकतर समय घर में बिताते हैं और शरीर को वह जरूरी सनलाइट नहीं मिल पाती जिसकी उसे जरूरत है।
दुनिया की लगभग 50% आबादी विटामिन D की कमी से जूझ रही है, और भारत में स्थिति इससे भी गंभीर है—76% से 80% लोग इसकी कमी का शिकार हैं। यानी चार में से तीन भारतीयों के शरीर में यह महत्वपूर्ण विटामिन पर्याप्त मात्रा में नहीं है।
आज की ‘फिजिकल हेल्थ’ श्रृंखला में जानिए—
• विटामिन D की कमी के लक्षण क्या हैं
• सर्दियों में इसकी कमी क्यों बढ़ जाती है
• इसे पूरा करने के प्राकृतिक और मेडिकल तरीके
• और डॉक्टर द्वारा सुझाए गए ज़रूरी उपाय
(विशेषज्ञ: डॉ. संचयन रॉय, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, अपोलो स्पेक्ट्रा, दिल्ली)
विटामिन D की कमी के लक्षण—शरीर पहले ही संकेत दे देता है
डॉ. रॉय बताते हैं कि विटामिन D कम होने पर शरीर कई तरह की चेतावनियां देता है। अक्सर ये लक्षण मामूली लगते हैं और नजरअंदाज कर दिए जाते हैं—
थकान, मांसपेशियों में दर्द, हड्डियों का कमजोर महसूस होना, बार-बार बीमार पड़ना, मूड खराब रहना या नींद ठीक न आना जैसे लक्षण इसकी कमी का संकेत हो सकते हैं।
विटामिन D इतना जरूरी क्यों?
विटामिन D हमारे शरीर का एक ‘इन्फ्लुएंस मास्टर’ है—
• यह हड्डियों को मजबूत रखता है
• इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है
• हार्मोनल बैलेंस बनाए रखता है
• मांसपेशियों को ताकत देता है
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसार, विटामिन D शरीर में 200 से अधिक तरह के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार है।
स्टैनफोर्ड की एक रिसर्च बताती है कि इसकी कमी होने पर हार्ट डिज़ीज़, कैंसर और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का खतरा लगभग 18% तक बढ़ जाता है।
सर्दियों में धूप कम मिलने से स्थितियां और खराब हो सकती हैं।
भारत में विटामिन D की कमी क्यों इतनी आम है?
भारत में विटामिन D की कमी को “साइलेंट एपिडेमिक” कहा जा रहा है।
• पूर्वी भारत में इसकी कमी लगभग 38% है
• बड़े शहरों में यह दर 89% तक पहुँच जाती है (टाटा 1mg रिपोर्ट)
पॉल्यूशन, इनडोर लाइफस्टाइल, और तिरछी सूर्य किरणें इसका मुख्य कारण हैं।
विटामिन D को ‘बुढ़ापे का सहारा’ क्यों कहते हैं?
उम्र बढ़ने के साथ हड्डियाँ कमजोर और मांसपेशियाँ ढीली पड़ने लगती हैं।
विटामिन D इन्हें नुकसान से बचाता है, इसलिए डॉक्टर इसे बुजुर्गों का सबसे बड़ा पोषण-समर्थन मानते हैं।
सर्दियों में विटामिन D अचानक क्यों कम हो जाता है?
डॉ. संचयन रॉय के अनुसार, इस मौसम में कई कारक इसके स्तर को कम कर देते हैं—
1. धूप से दूरी – लोग ज्यादा समय घर में बिताते हैं
2. भौगोलिक स्थिति – उत्तरी भारत में UVB किरणें कम पहुँचती हैं
3. हवा में प्रदूषण – स्मॉग सूर्य की UVB किरणों को रोक देता है
4. त्वचा का रंग – डार्क स्किन में विटामिन D बनने में अधिक समय लगता है
5. मोटापा – फैट सेल्स विटामिन D को स्टोर कर लेते हैं, लेकिन उपयोग नहीं होने देते
6. उम्र बढ़ना – त्वचा की विटामिन D बनाने की क्षमता कम हो जाती है
7. खराब गट हेल्थ – शरीर में अवशोषण रुक जाता है
8. लिवर–किडनी की समस्या – विटामिन D के एक्टिवेशन पर असर
9. ज्यादा कपड़े पहनना – त्वचा का एक्सपोजर कम
10. सनस्क्रीन का अत्यधिक उपयोग – UVB ब्लॉक हो जाती है
इन सभी कारणों से विटामिन D लेवल सर्दियों में तेजी से गिरता है।
विटामिन D कैसे पूरा करें?
इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी की स्टडी कहती है—
रोजाना 20–30 मिनट धूप पर्याप्त है।
सर्दियों में 10 AM से 3 PM का समय सबसे असरदार होता है।
डॉक्टर की सलाह:
✔ धूप लेने के समय चेहरे, हाथ और पैरों को जितना हो सके एक्सपोज रखें
✔ दोपहर की हल्की धूप ज्यादा असरदार होती है
✔ धूप के साथ बैलेंस्ड डाइट जरूरी है
क्या खाएँ?
• अंडे
• मशरूम (धूप में रखने पर विटामिन D बढ़ता है)
• फैटी फिश – सैल्मन, टूना
• फोर्टिफाइड दूध, अनाज, चीज
सप्लीमेंट कब लें?
यदि रक्त जांच में विटामिन D बहुत कम मिले, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लेना जरूरी है।
खुद से दवाएं न लें—ओवरडोज भी नुकसानदायक होता है।
धूप के अप्रत्याशित फायदे
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, सुबह की धूप—
• नींद सुधारती है
• मूड बेहतर करती है
• एंग्जाइटी कम करती है
अमेरिकन नेशनल हेल्थ मैगजीन भी इसे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताती है।