दुर्ग, 25 नवम्बर 2025/विकासखण्ड धमधा के ग्राम पंचायत लिटिया की वर्षों से पड़ी बंजर भूमि अब हरी-भरी हरियाली में तब्दील हो चुकी है। यह परिवर्तन महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत अपनाई गई विशेष ट्रेंच वृक्षारोपण तकनीक के कारण संभव हुआ है, जिसने गांव की सूखी और अनुपयोगी जमीन को नया स्वरूप प्रदान किया है।
ग्राम सभा के प्रस्ताव के अनुसार लगभग 2 हेक्टेयर क्षेत्र में 1400 पौधों का रोपण किया गया, जिनमें नीम, आँवला और बादाम के पौधे शामिल हैं। पहले यह भूमि असमान सतह, मिट्टी कटाव, वर्षा जल के तेज बहाव और अवैध कब्जे की संभावना के कारण अनुपयोगी बनी हुई थी और साधारण रोपण में पौधे जीवित नहीं रह पाते थे। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ट्रेंच विधि अपनाई गई, जिसमें प्रत्येक पौधे के पास गहरी और चौड़ी खाइयाँ बनाकर वर्षा जल को रोकने, मिट्टी की नमी बनाए रखने और जड़ों को मजबूती देने का प्रबंध किया गया। इस तकनीक से जमीन की गुणवत्ता में सुधार हुआ, पौधों की जड़ें गहराई तक विकसित हुईं और गर्मी के मौसम में भी वे सुरक्षित रह सके। साथ ही भूमि कटाव पर पूरी तरह रोक लगी और भू-जल स्तर में वृद्धि का सकारात्मक प्रभाव देखा गया।
ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती पांचो बाई बंजारे और सचिव श्री मिथलेश यादव के नेतृत्व में पौधों की नियमित निगरानी, सिंचाई, खाद और सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। 15वें वित्त आयोग से प्राप्त पचास हजार रुपये की राशि से पंपलाइन और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया। मनरेगा मजदूरों और ग्रामीणों के संयुक्त प्रयासों ने इस परियोजना को सामुदायिक स्वरूप दिया, जिससे न केवल खाली भूमि सुरक्षित हुई, बल्कि गांव की जैव विविधता में वृद्धि भी हुई। ग्रामीणों ने बताया कि वृक्षारोपण से गांव में हरियाली बढ़ रही है और पशु-पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास भी विकसित हो रहा है।
परियोजना के अंतर्गत 1400 पौधों का रोपण, 2304 मानव दिवसों का सृजन, दस लाख अठारह हजार एक सौ सत्तासी रुपये की मजदूरी व्यय, चार लाख सड़सठ हजार नौ सौ छियानबे रुपये की सामग्री लागत तथा कुल 426 परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है। ट्रेंच तकनीक से किया गया यह वृक्षारोपण कार्य पर्यावरण संरक्षण, भूमि सुधार, जल संचयन और रोजगार उपलब्ध कराने का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है। ग्राम पंचायत लिटिया ने बंजर भूमि को हरी-भरी हरियाली में बदलकर मनरेगा के सकारात्मक प्रभाव को सिद्ध किया है।