सोशल मीडिया इन दिनों एक ऐसे 19 मिनट के वीडियो से भरा पड़ा है जिसने इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब शॉर्ट्स और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भारी उथल-पुथल मचा दी है। दावा किया जा रहा था कि इस कथित एमएमएस में इन्फ्लुएंसर स्वीट जन्नत हैं। लाखों लोगों ने इसे बिना जांचे परखे शेयर कर दिया। कोई इसे असली बता रहा था, कोई AI कह रहा था, और कुछ लोग सिर्फ विवाद बढ़ाने का काम कर रहे थे। लेकिन अब जो तथ्य सामने आए हैं, उन्होंने पूरी कहानी साफ कर दी है—वायरल वीडियो में दिखाई दे रही लड़की स्वीट जन्नत नहीं हैं, यह वीडियो डीपफेक है।
फैक्ट-चेक करने वाली एजेंसियों ने भी पुष्टि कर दी है कि इस क्लिप का जन्नत से कोई संबंध नहीं। Oneindia की रिपोर्ट ने उनकी पूरी पर्सनल प्रोफाइल, इस पूरे विवाद की टाइमलाइन और फैक्ट-चेक के आधार पर यह तय किया कि 19 मिनट वाला वीडियो एक झूठा, AI-जनरेटेड कंटेंट है। इसे किसी भी इन्फ्लुएंसर का असली निजी वीडियो बताना तथ्यहीन है। जन्नत के बयान, तकनीकी जांच और विशेषज्ञों की राय—तीनों यह साबित करते हैं कि वायरल वीडियो एक डीपफेक है जिसे गलत मकसद से फैलाया गया।
वीडियो वायरल होने के बाद जन्नत को लगातार तकलीफदेह संदेश मिलते रहे। मजबूर होकर उन्होंने खुद एक वीडियो जारी किया और स्पष्ट कहा कि जो क्लिप वायरल की जा रही है, वह उनकी नहीं है। उन्होंने लोगों से पूछा कि क्या वीडियो में दिखने वाली शख्सियत वाकई उनकी तरह लगती है? उन्होंने कहा—बिना सोचे-समझे किसी भी लड़की पर उंगली उठाना गलत है। कई लोगों ने बाद में उन्हें टैग करके अपनी गलती स्वीकार की, लेकिन वायरल होने की रफ्तार कम नहीं हुई।
अब सबसे अहम सवाल—यदि किसी का वीडियो वायरल हो जाए तो क्या किया जा सकता है?
हालिया मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति अपने खिलाफ वायरल हो रहे वीडियो या फोटो को सोशल मीडिया से हटवा सकता है। जरूरत पड़े तो पुलिस की मदद भी ली जा सकती है। यदि वह कंटेंट गूगल सर्च रिज़ल्ट में दिख रहा है, तब भी उसे हटाया जा सकता है। इसके लिए गूगल सपोर्ट पेज पर जाकर एक रिक्वेस्ट फॉर्म भरना होता है। उस फॉर्म में आप उन सभी लिंक्स और रिजल्ट्स को दर्ज करते हैं जिनमें आपकी निजी या भ्रामक सामग्री दिख रही है। समीक्षा के बाद, यदि यह गूगल की पॉलिसी का उल्लंघन पाई जाती है, तो सर्च रिज़ल्ट से उसे हटाया जा सकता है।
जहां तक स्वीट जन्नत की बात है, वे मेघालय के साउथ वेस्ट गारो हिल्स जिले के महेंद्रगंज कस्बे की रहने वाली युवा इन्फ्लुएंसर हैं। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर वे रोज़मर्रा की जिंदगी से जुड़े वीडियो शेयर करती हैं। विवाद ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान जरूर किया, लेकिन यह सच भी है कि उनके फॉलोअर्स की संख्या इस बीच कई गुना बढ़ी है। झूठे वीडियो के बीच भी उनके समर्थन में बड़ी संख्या में लोग सामने आए और साफ कहा कि सच्चाई जितनी देर से सामने आती है, उतनी ही साफ दिखाई देती है।
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि डिजिटल दुनिया में डीपफेक और फर्जी कंटेंट का खतरा कितना वास्तविक है, और किसी के बारे में निष्कर्ष निकालने से पहले जांच कितनी जरूरी है।