तेज़ रफ्तार जिंदगी, तनाव, नींद की कमी और खराब खानपान—इन सबके बीच दिल की बीमारियां आज पहले से कहीं ज़्यादा तेजी से बढ़ रही हैं। मुश्किल यह है कि दिल से जुड़े कई खतरे चुपचाप बढ़ते हैं। लोग अक्सर शुरुआती संकेतों को मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं और यही लापरवाही आगे चलकर हार्ट अटैक जैसे गंभीर हालात को जन्म देती है। असल में, शरीर समय रहते साफ-साफ चेतावनी देता है, बस ज़रूरत है उन्हें पहचानने की।
सबसे पहले सांस का फूलना या हल्की-सी गतिविधि में भी थकान महसूस होना दिल की कमजोरी का बड़ा संकेत माना जाता है। जब दिल खून को पूरी क्षमता से पंप नहीं कर पाता, तो शरीर तक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचती और थोड़ी-सी मेहनत में भी सांस तेज़ चलने लगती है। ऐसा बार-बार होने लगे तो इसे सामान्य थकान समझकर टालना खतरनाक हो सकता है।
छाती में दर्द, भारीपन, कसाव या जलन भी दिल की समस्या का सबसे पहचानने वाला लक्षण है। कई लोग इसे गैस, एसिडिटी या स्ट्रेस मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन सीने में फैलता हुआ दर्द, खासकर बाजू, पीठ या गर्दन तक जाता हुआ दर्द, दिल की गंभीर चेतावनी हो सकता है जिसे तुरंत ध्यान में लेना चाहिए।
शरीर में तरल जमा होने से पैरों, टखनों और कई बार चेहरे पर भी सूजन आने लगती है। यह सूजन अक्सर हार्ट फेल्योर का शुरुआती संकेत होती है, क्योंकि कमजोर दिल अतिरिक्त फ्लूइड को बाहर निकालने की क्षमता खोने लगता है। दिन जैसे-जैसे बढ़ता है, सूजन भी बढ़ने लगती है तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
धड़कनों का तेज़ होना, फड़फड़ाहट या अनियमित चलना भी दिल के लिए खतरे का इशारा है। दिल की धड़कन का रुक-रुककर चलना या अचानक बहुत तेज़ हो जाना एरिदमिया का संकेत हो सकता है, जो आगे चलकर गंभीर हार्ट प्रॉब्लम की शुरुआत बनता है। यह समस्या कभी-कभी तनाव में भी दिखाई देती है, लेकिन बार-बार दोहराना चिंताजनक है।
लगातार थकान, कमजोरी और चक्कर आना भी हार्ट के कमजोर होने का संकेत देता है। जब दिल शरीर के अंगों तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचा पाता, तो कमजोरी और चक्कर महसूस होते हैं। कई लोग इसे नींद या थकान का नतीजा समझ लेते हैं, जबकि यह दिल में बढ़ती समस्या की शुरुआती घंटी होती है।
दिल से जुड़ी ये चेतावनियां अचानक नहीं आतीं—ये धीरे-धीरे शरीर को संकेत देती हैं कि दिल पर दबाव बढ़ रहा है। समय रहते इन संकेतों को पहचानकर और सही इलाज या लाइफस्टाइल बदलाव अपनाकर बड़े खतरे को टाला जा सकता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ जागरूकता के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।)