मंगलवार, 2 दिसंबर को शेयर बाजार ने हफ्ते की शुरुआत के बाद एक बार फिर धीमी चाल दिखाई। सेंसेक्स 300 अंक फिसलकर 85,350 के स्तर पर कारोबार करता दिखा, जबकि निफ्टी 80 अंकों की गिरावट के साथ 26,100 पर कारोबार कर रहा है। बाजार में सुस्ती साफ नजर आई, हालांकि सेंसेक्स के 30 में से 15 शेयर अभी भी हरे निशान में बने हुए हैं। एशियन पेंट्स, एयरटेल और इंफोसिस जैसी दिग्गज कंपनियों में तेजी है, वहीं HDFC बैंक, ICICI बैंक और जोमैटो समेत कई बड़े शेयर दबाव में दिखाई देते हैं।
निफ्टी में भी यही अंदाज दिखा—इसके 50 शेयरों में से 26 लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं। खास बात यह है कि NSE के IT, PSU बैंक और ऑयल & गैस इंडेक्स में तेजी है, जबकि मेटल, रियल्टी और प्राइवेट बैंकिंग शेयरों ने बाजार को नीचे खींचने में बड़ी भूमिका निभाई। सेक्टोरल मूवमेंट में यह अंतर बाजार की अनिश्चित दिशा को साफ दर्शाता है।
एशियाई बाजारों में मिलाजुला माहौल बना हुआ है। कोरिया का कोस्पी 1.66% ऊपर 3,985 पर, जापान का निक्केई 0.40% ऊपर 49,499 पर और हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग इंडेक्स 0.26% की मामूली बढ़त के साथ 26,101 पर कारोबार कर रहा है। इसके विपरीत अमेरिकी बाजारों ने 1 दिसंबर को दबाव झेलते हुए ट्रेडिंग सेशन को गिरावट में बंद किया। डाउ जोन्स 0.90% टूटा और 47,289 पर बंद हुआ, जबकि नैस्डेक और S&P 500 दोनों में हल्की गिरावट दर्ज की गई।
घरेलू स्तर पर निवेशकों का रुझान दिलचस्प रहा। 1 दिसंबर को विदेशी निवेशक जहां कैश सेगमेंट में ₹1,171 करोड़ की बिकवाली कर गए, वहीं घरेलू निवेशकों ने विपरीत दिशा में चलते हुए लगभग ₹2,559 करोड़ की खरीदारी की। नवंबर में भी यही अंतर दिखा—FIIs ने ₹17,500 करोड़ के शेयर बेचकर बाजार से दूरी बनाई, लेकिन DIIs ने ₹77,000 करोड़ से ज्यादा निवेश कर बाजार को मजबूत सपोर्ट दिया। यही कारण है कि उतार-चढ़ाव के बावजूद घरेलू निवेशक बाजार की रीढ़ बने हुए हैं।
सोमवार को भी बाजार ने यही पैटर्न दिखाया था। सेंसेक्स 65 अंक फिसलकर 85,642 पर बंद हुआ और निफ्टी 27 अंक गिरकर 26,176 पर पहुंचा। दिलचस्प यह रहा कि दिन की शुरुआत में सेंसेक्स ने 86,159 और निफ्टी ने 26,325 का ऑलटाइम हाई बनाया था, लेकिन क्लोजिंग तक मुनाफा वसूली ने तेजी को ठंडा कर दिया। FMCG, फार्मा और फाइनेंस सेक्टर शेयरों ने गिरावट का नेतृत्व किया, जबकि ऑटो और IT ने हल्की मजबूती दिखाई।
कुल मिलाकर, बाजार इस समय हल्की गिरावट और मिलाजुले संकेतों के बीच रास्ता तलाशने की कोशिश कर रहा है। घरेलू निवेशकों की खरीदारी बाजार को टिकाए हुए है, लेकिन वैश्विक संकेतों और सेक्टोरल दबाव की वजह से अस्थिरता बनी हुई है।