रूम हीटर आपकी मदद भी कर सकता है और जानलेवा भी बन सकता है, डॉक्टर बताते हैं क्यों और कैसे बचें खतरे से

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सर्दियां शुरू होते ही घर-घर में हीटर और ब्लोअर की खटर-पटर सुनाई देने लगती है। ठंड से राहत का यह आसान उपाय कई बार ऐसा जोखिम बना देता है, जिसकी लोग कल्पना भी नहीं करते। नोएडा में पिछले साल एक ही परिवार के तीन सदस्य रातभर गैस हीटर चलने के कारण कार्बन मोनोऑक्साइड में दम घुटने से नहीं बच पाए, और घाटी में भी एक परिवार इसी वजह से काल के गाल में समा गया। हीटर की गर्मी, जो आराम देती है, वही कई बार बंद कमरे में जानलेवा साबित हो जाती है।

अधिकतर लोग समझते हैं कि हीटर सिर्फ हवा को गर्म करता है, लेकिन सच्चाई यह है कि ये उपकरण कमरे की ऑक्सीजन तेजी से खींचते हैं और साथ ही एक अदृश्य, बिना गंध वाली जहरीली गैस—कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)—भी छोड़ते हैं। अगर कमरा पूरी तरह बंद है, वेंटिलेशन नहीं है, खिड़की नहीं खुली है, तो यह गैस धीरे-धीरे जमा होकर नींद, चक्कर, उलझन, कमजोरी और बेहोशी का कारण बनती है। हालत गंभीर हो जाए तो मौत भी हो सकती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट बताती है कि नवजात बच्चों के कमरे में हीटर चलने पर 88% तक मामलों में तेज खांसी, सांस की तकलीफ और एलर्जी जैसे लक्षण देखे गए। यानी यह जोखिम सिर्फ बड़े नहीं, बच्चों के लिए भी कई गुना ज्यादा है।

हीटर से असली खतरा क्या है?
जयपुर के नारायणा हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंबरीश कुमार गर्ग बताते हैं कि हीटर कमरे की नमी पूरी तरह खींच लेता है। नाक, गला और त्वचा सूखने लगते हैं, जिससे कंजक्टिवाइटिस, स्किन ड्राईनेस, लगातार खांसी और अस्थमा के अटैक तक की नौबत आ सकती है। लगातार हीटर में बैठना दिमाग में इंटरनल ब्लीडिंग और स्ट्रोक जैसी स्थितियों को भी ट्रिगर कर सकता है।

कार्बन मोनोऑक्साइड पॉइजनिंग कैसे होती है?
CO गैस दिखती नहीं, महकती नहीं और धीरे-धीरे कमरे में भरती जाती है। शरीर में ऑक्सीजन लेवल गिरने लगता है—सबसे पहले सिर भारी, फिर चक्कर, फिर उलझन और फिर बेहोशी। यदि व्यक्ति सो रहा हो, तो उसे किसी तरह का संकेत भी महसूस नहीं होता। इसलिए पूरी रात हीटर ऑन रखना सबसे खतरनाक गलती है।

क्या बच्चे के कमरे में हीटर चलाना सुरक्षित है?
डॉक्टर साफ कहते हैं—नहीं।
नवजात की त्वचा और नाक बेहद संवेदनशील होती है। हवा सूखते ही उनकी स्किन फटने लगती है, नाक बंद होती है और सांस लेने में दिक्कत शुरू हो जाती है। छोटे बच्चों के कमरे में यदि हीटर चलाना ही पड़े, तो कम वॉट का हीटर, दूर रखा हुआ पानी का बर्तन और थोड़ा वेंटिलेशन अनिवार्य है।

आइडियल कमरा तापमान कितना होना चाहिए?
विशेषज्ञों के अनुसार—

  • बेडरूम: लगभग 18°C

  • लिविंग रूम: 21°C के आसपास

कमरा बहुत गर्म भी न हो और बहुत ठंडा भी नहीं—यही बैलेंस नींद और ब्लड सर्कुलेशन दोनों के लिए जरूरी है।

हीटर चलाते समय कौन-सी सावधानियां जान बचा सकती हैं?
कम से कम एक खिड़की थोड़ी खुली रखें, ताकि ऑक्सीजन का लेवल बना रहे।
कमरे में पानी का कटोरा रखें ताकि नमी खत्म न हो।
अस्थमा, एलर्जी और हार्ट रोगियों को लंबे समय तक हीटर में नहीं बैठना चाहिए।
हीटर के पास कपड़े न सुखाएं और न ही कोई ज्वलनशील चीज रखें।
पुराने या टली-सर्विस वाले हीटर सबसे ज्यादा जोखिम पैदा करते हैं—सर्विसिंग नियमित कराते रहें।

कई कॉमन संदेहों के जवाब भी जान लीजिए—

  • क्या सेंट्रल हीटिंग से साइनस बढ़ता है? — हां, नाक सूखती है, संक्रमण की संभावना बढ़ती है।

  • क्या रेडिएटर से सांस की दिक्कत हो सकती है? — हां, धूल कण उड़कर एलर्जी ट्रिगर कर सकते हैं।

  • क्या ठंडा कमरा सुरक्षित है? — बहुत ठंडा कमरा भी जोखिम है; शरीर का तापमान गिर सकता है।

  • सबसे आम गलती क्या है? — पूरी रात या बंद कमरे में हीटर ऑन छोड़ देना। यही मौत का सबसे बड़ा कारण होता है।

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