वंदे मातरम पर संसद में गरमाई राजनीति, मनोज तिवारी का कांग्रेस पर सीधा हमला

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संसद में ‘वंदे मातरम’ को लेकर चल रही ऐतिहासिक बहस के बीच सियासी माहौल उस वक्त और गर्म हो गया, जब भाजपा सांसद Manoj Tiwari ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री Narendra Modi ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद में चर्चा शुरू कर देश की आंखें खोल दी हैं। उनका कहना था कि जैसे ही प्रधानमंत्री ने इस विषय पर बोलना शुरू किया, विपक्ष की ओर से सन्नाटा छा गया, जो अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।

मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि इतिहास गवाह है कि जब मुस्लिम लीग के विरोध के बाद कांग्रेस ने वंदे मातरम पर समझौता किया, तभी इस पवित्र राष्ट्रगीत के “टुकड़े” कर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि उस समय जिन लोगों ने वंदे मातरम में कटौती की, वही सोच आगे चलकर देश के विभाजन की वजह भी बनी। तिवारी ने यह भी कहा कि उस दौर के कांग्रेस नेतृत्व ने जिस तरह से इस मुद्दे पर समझौता किया, उसका असर आज भी देश महसूस कर रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि वंदे मातरम आज भी हर भारतीय को एक सूत्र में बांधने का काम करता है। यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, जिसे दुनिया भर में सम्मान की नजर से देखा जाता है। इसके बावजूद उस दौर में इसके साथ छेड़छाड़ की गई, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी। आज संसद में उसी सच पर चर्चा हो रही है और इसके लिए मनोज तिवारी ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी दिया।

भाजपा सांसद ने यह भी कहा कि यह बेहद दुख की बात है कि कांग्रेस की ओर से वंदे मातरम पर हो रही बहस में विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति साफ तौर पर देश और उसके राष्ट्रगीत के प्रति उनकी सोच को जाहिर करती है। उन्होंने कहा कि देश की जनता सब देख और समझ रही है कि कौन राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करता है और कौन उनसे दूरी बनाता है।

इधर, लोकसभा में प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर मध्य प्रदेश से भाजपा सांसद V. D. Sharma ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में शुरू हुई यह चर्चा ऐतिहासिक है और इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा किया जाना देश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आने वाले समय में प्रधानमंत्री के “विकसित भारत” के संकल्प को पूरा करने के लिए पूरा देश एकजुट होकर आगे बढ़ रहा है।

कुल मिलाकर वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में सिर्फ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक चर्चा ही नहीं हो रही, बल्कि इसके साथ-साथ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने भी माहौल को पूरी तरह गरमा दिया है।

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