देश में निवेश को लेकर युवाओं का रुझान तेजी से बदल रहा है और अब बड़ी संख्या में युवा शेयर बाजार से जुड़े प्रोडक्ट्स, खासकर इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मौजूदा रफ्तार अगर यूं ही बनी रहती है, तो आने वाले 10 सालों में म्यूचुअल फंड्स की कुल संपत्ति (AUM) करीब चार गुना तक बढ़ सकती है, वहीं डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स में करीब सात गुना उछाल देखने को मिल सकता है। इस बदलाव के केंद्र में 18 से 34 साल के युवा निवेशक हैं, जो SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में सबसे तेजी से निवेश बढ़ा रहे हैं। हाल के आंकड़े यह भी बताते हैं कि इक्विटी में 30 साल से कम उम्र के निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि पांच साल पहले यह आंकड़ा केवल 23 प्रतिशत था।
Bain & Company और Groww की संयुक्त रिपोर्ट ‘हाउ इंडिया इन्वेस्ट्स 2025’ में अनुमान लगाया गया है कि साल 2035 तक भारत में म्यूचुअल फंड्स की कुल संपत्ति 300 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगी। अभी यह आंकड़ा करीब 80 लाख करोड़ रुपये के आसपास है। इसी अवधि में डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स के भी 250 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जो अभी लगभग 35 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा ही ज्यादा है। इसके साथ ही म्यूचुअल फंड्स की पहुंच भी तेजी से बढ़ेगी और माना जा रहा है कि 2035 तक देश की करीब 20 प्रतिशत आबादी इससे जुड़ चुकी होगी, जबकि फिलहाल यह आंकड़ा करीब 10 प्रतिशत के आसपास ही है।
लंबी अवधि के निवेश की ताकत को लेकर भी रिपोर्ट में अहम संकेत दिए गए हैं। ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर यह साफ होता है कि 5 से 7 साल या उससे ज्यादा की अवधि के लिए किया गया निवेश न केवल बाजार के उतार-चढ़ाव को संभालने में मदद करता है, बल्कि कंपाउंडिंग के जरिए बेहतर रिटर्न भी देता है। एक स्टडी के मुताबिक भारतीय इक्विटी फंड्स ने बीते 20 सालों में औसतन 16 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है, जो अन्य एसेट क्लास की तुलना में काफी बेहतर माना जाता है।
निवेश के तरीकों में हो रहे इस बड़े बदलाव का असर सिर्फ बाजार तक सीमित नहीं रहने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले वर्षों में इस बदलाव से करीब 7 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। घरेलू निवेश बढ़ने से शेयर बाजार अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की आवाजाही से पहले के मुकाबले कम प्रभावित होगा। इस बदलते परिदृश्य पर बेन एंड कंपनी के राकेश पोजाथ का कहना है कि भारत अब खुदरा निवेश के एक नए और ज्यादा समावेशी युग में प्रवेश कर रहा है, जो आगे चलकर 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव बनेगा।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में अब 80 प्रतिशत इक्विटी निवेशक और करीब 35 प्रतिशत म्यूचुअल फंड निवेशक डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर रहे हैं। इनमें से लगभग आधे निवेशक टियर-2 और उससे भी छोटे शहरों से हैं, जो यह दिखाता है कि निवेश की संस्कृति अब सिर्फ बड़े महानगरों तक सीमित नहीं रही। इस पर बेन एंड कंपनी के सौरभ त्रेहन का कहना है कि लंबी अवधि की होल्डिंग और SIP के जरिए भारत में निवेशकों का आधार लगातार गहराता जा रहा है और यही वह क्रांति है जो आगे चलकर भारत की आर्थिक ग्रोथ को फाइनेंस करने वाली सबसे बड़ी ताकत बनेगी।