दिल्ली में सामने आए दिल दहला देने वाले पिटबुल हमले के मामले में अब Delhi High Court ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रशासन और पुलिस को कड़े निर्देश जारी किए हैं। छह साल के मासूम बच्चे पर पिटबुल कुत्ते ने अचानक हमला कर दिया था, जिसमें बच्चे का बायां कान बुरी तरह कट गया। इस घटना ने न सिर्फ इलाके में दहशत फैलाई, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। अदालत ने इस मामले में एफआईआर पर तेजी से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान पीड़ित बच्चे के पिता ने अदालत के सामने अपनी दर्दनाक स्थिति रखते हुए कम से कम 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है। उन्होंने बताया कि बच्चा गंभीर मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुजर रहा है और लंबे इलाज की जरूरत है। इस पर अदालत ने साफ संकेत दिए कि मुआवजे की जिम्मेदारी सरकार से ज्यादा उस व्यक्ति की बनती है, जिसकी लापरवाही से यह हादसा हुआ। दिल्ली सरकार के वकील ने भी अदालत में यही तर्क रखा कि मुआवजा सीधे अपराध करने वाले यानी कुत्ते के मालिक को ही देना चाहिए।
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने इस केस में अंतरिम राहत देते हुए साफ आदेश दिया कि जब तक यह पूरी तरह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि भविष्य में इस तरह की कोई घटना दोबारा नहीं होगी, तब तक पिटबुल को छोड़ा नहीं जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसी भी तरह की लापरवाही को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान Municipal Corporation of Delhi यानी MCD के वकील ने कोर्ट को बताया कि 24 नवंबर को कुत्ते के मालिक की सहमति के बाद पिटबुल को जब्त कर लिया गया था। जैसे ही MCD को इस घटना की जानकारी मिली, तुरंत कार्रवाई की गई। कोर्ट को यह भी बताया गया कि यह कुत्ता बिना रजिस्ट्रेशन के पाला गया था, जो सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है। अदालत ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बिना पंजीकरण खतरनाक नस्ल के कुत्तों को पालना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह आम लोगों की जान के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
अदालत ने सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई और कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केवल नोटिस जारी करना काफी नहीं है, बल्कि MCD के साथ मिलकर ठोस और सख्त कदम उठाने होंगे। कोर्ट में दाखिल याचिका में यह भी कहा गया कि यह पहला ऐसा मामला नहीं है, इससे पहले भी पिटबुल के हमले की कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यही लापरवाही आज इस मासूम बच्चे की जिंदगी पर भारी पड़ गई।
अदालत में यह भी बताया गया कि बच्चे के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनकी मासिक आमदनी मात्र 10 से 12 हजार रुपये के आसपास है। ऐसे में इतने बड़े हादसे के बाद इलाज और दवाइयों का खर्च उठाना उनके लिए लगभग नामुमकिन हो गया है। इसी कारण उन्होंने सरकार से इलाज से जुड़ा पूरा खर्च और उचित मुआवजा देने की मांग की है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में Delhi Police को भी निर्देश देते हुए मार्च 2026 तक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कुत्ते के मालिक, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, संबंधित एसीपी, एसएचओ और Safdarjung Hospital को भी नोटिस जारी किया गया है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर बड़े और खतरनाक नस्ल के कुत्तों के रजिस्ट्रेशन, निगरानी और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाईकोर्ट की सख्ती से अब यह उम्मीद जगी है कि सिर्फ इस मामले में ही नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसे खतरनाक हमलों को रोकने के लिए भी प्रशासन को मजबूर होकर ठोस कदम उठाने पड़ेंगे।