‘हमारा प्यार सच्चा था…’: धर्मेंद्र की याद में टुटीं हेमा मालिनी, छलक पड़े आंसू; पहली बार बताई एक्टर की आखिरी ख्वाहिश

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धर्मेंद्र के निधन ने देशभर के करोड़ों प्रशंसकों को शोक में डाल दिया, लेकिन सबसे गहरा आघात उस इंसान को लगा, जिसने जीवन के 57 साल उनके साथ बिताए—हेमा मालिनी। 24 नवंबर को जुहू स्थित घर में धर्मेंद्र ने अंतिम सांस ली, और इसके बाद 11 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित उनकी श्रद्धांजलि सभा में हेमा मालिनी मंच पर जैसे ही बोलने आईं, उनकी आवाज कांप गई। यादों के बोझ ने उन्हें रोक दिया, और वह अपने आंसुओं को थाम नहीं सकीं।

दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में राजनीतिक और फिल्म जगत की कई हस्तियां मौजूद थीं। गृह मंत्री अमित शाह, सांसद कंगना रनौत, दिल्ली मेयर रेखा गुप्ता सहित अनेक लोगों ने धर्मेंद्र को अंतिम सम्मान दिया।

प्रोग्राम की मेजबानी हेमा मालिनी, ईशा देओल, अहाना देओल और उनके पति वैभव वोहरा ने की। यह श्रद्धांजलि सभा जितनी गरिमामय थी, उतनी ही भावुक भी।


“57 साल का साथ… 45 साल की शादी”

हेमा मालिनी ने कांपती आवाज में कहा—
“धर्मेंद्र जी से मेरा रिश्ता 57 साल लंबा रहा है। जब मैं इंडस्ट्री में आई थी, तब से ही उन्हें मेरे साथ काम करने का मौका मिलता रहा। लगभग 45 फिल्में कीं, जिनमें से 25 से ज्यादा सुपरहिट थीं। लोग हमें ‘हिट पेयर’ मानते थे… लेकिन हमारे लिए वह केवल पर्दे की जुड़ी जोड़ी नहीं, जीवन की साझेदारी भी बन गई।”

उनके चेहरे पर मुस्कान भी थी और दर्द भी।


“जिसके साथ फिल्मों में प्यार किया, वही जीवन साथी बन गए”

हेमा बोलीं—
“जिस इंसान के साथ मैंने फिल्मों में प्रेम का अभिनय किया, वह मेरे जीवन का सच बन गया। हमारा प्यार सच्चा था… इसलिए हर मुश्किल का सामना कर सके। धर्म जी हमेशा मेरे फैसलों के साथ खड़े रहे, उन्होंने मुझे कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया।”

इसके बाद वे रुकीं… और आंखों से बहती बूंदों को संभालते हुए बोलीं—
“कभी सोचा नहीं था कि एक दिन मुझे अपने ही धर्म जी के लिए श्रद्धांजलि सभा रखनी पड़ेगी। दुनिया दुख मना रही है, पर मेरा दुख… शब्दों में बयां नहीं होता।”


धर्मेंद्र की आखिरी ख्वाहिश—जो पूरी न हो सकी

हेमा मालिनी ने पहली बार धर्मेंद्र की एक अधूरी इच्छा का जिक्र किया।
उन्होंने कहा—
“धर्म जी को उर्दू शायरी का गहरा शौक था। किसी भी बात पर वे तुरंत एक खूबसूरत शेर सुना देते। मैंने कई बार कहा कि उनकी शायरी को किताब के रूप में आना चाहिए। वे इस बारे में गंभीर भी थे, योजना बना रहे थे… लेकिन वह सपना अधूरा रह गया।”

धर्मेंद्र हमेशा चाहते थे कि उनकी लिखी शायरी दुनिया पढ़े—लेकिन जिंदगी ने उन्हें मौका नहीं दिया।

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