देश के मैदानी इलाकों में घना कोहरा अब जानलेवा बनता जा रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में हालात ऐसे रहे कि सुबह के वक्त 10 मीटर दूर तक देख पाना भी मुश्किल हो गया। बीते कुछ दिनों में केवल उत्तर प्रदेश में ही कोहरे की वजह से अलग-अलग सड़क हादसों में 110 से ज्यादा गाड़ियां आपस में टकरा चुकी हैं, जिनमें 15 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। सबसे भयावह तस्वीर मथुरा के यमुना एक्सप्रेस-वे से सामने आई, जहां घने कोहरे के कारण 8 बसें और 3 कारें आपस में भिड़ गईं। टक्कर के बाद कुछ गाड़ियों में आग लग गई और 13 लोगों की जलकर मौत हो गई, जबकि 70 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसी तरह हापुड़ के अनवरपुर इलाके में कम विजिबिलिटी के चलते 6 वाहन आपस में टकरा गए।
हर साल सर्दियों में सड़क हादसों की संख्या अचानक बढ़ जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह घना कोहरा और धुंध होती है, जो ड्राइवर की नजर को बेहद सीमित कर देती है। कई बार सामने चल रहा वाहन भी आखिरी वक्त तक दिखाई नहीं देता। दिसंबर और जनवरी में उत्तर भारत के कई इलाकों में विजिबिलिटी इतनी कम हो जाती है कि सड़क पर आगे कुछ भी साफ नजर नहीं आता और यही स्थिति बड़े हादसों की वजह बनती है।
अगर इस मौसम में आपको लॉन्ग ड्राइव पर निकलना ही है, तो कुछ जरूरी बातों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। ड्राइव शुरू करने से पहले यह जरूर जांच लें कि आपकी गाड़ी पूरी तरह फिट है। विंडशील्ड, रियर व्यू मिरर, ORVM और खिड़कियां बिल्कुल साफ हों, ताकि धुंध या धूल विजिबिलिटी और कम न करे। ठंड में कार के शीशों पर अंदर से भाप जम जाती है, इसलिए डिफॉगर सही से काम कर रहा है या नहीं, यह पहले ही देख लें। ब्रेक, इंडिकेटर और हेडलाइट्स की जांच भी बेहद जरूरी है।
कोहरे में ड्राइविंग करते समय सबसे अहम नियम है—अपनी लेन में ही गाड़ी चलाना। हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर अलग-अलग वाहनों के लिए लेन तय होती है और कम विजिबिलिटी में लेन बदलना बेहद खतरनाक हो सकता है। कोहरे के दौरान हेडलाइट को हमेशा लो-बीम पर रखें। हाई-बीम लाइट कोहरे में उलटा असर करती है, क्योंकि रोशनी फैलकर आंखों को चकाचौंध कर देती है और आगे कुछ भी साफ दिखाई नहीं देता।
ड्राइव करते वक्त ओवरटेक करने की जल्दबाजी बिल्कुल न करें। कोहरे में सामने से आने वाला वाहन आखिरी पल में दिखता है, जिससे टक्कर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आगे चल रही गाड़ियों से सामान्य से ज्यादा दूरी बनाकर रखें, ताकि अचानक ब्रेक लगने की स्थिति में आपको प्रतिक्रिया देने का वक्त मिल सके। कई बड़े हादसे इसी वजह से होते हैं कि पीछे चल रही गाड़ी को रुकने का मौका ही नहीं मिल पाता।
स्पीड को लेकर भी खास सतर्कता जरूरी है। घने कोहरे में गाड़ी की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। कम स्पीड पर ड्राइवर को गाड़ी पर बेहतर कंट्रोल मिलता है और इमरजेंसी में ब्रेक लगाने का समय भी मिल जाता है।
कुछ आम गलतियां हैं, जिन्हें कोहरे में बिल्कुल नहीं करना चाहिए। सड़क किनारे बिना वजह गाड़ी खड़ी न करें, अगर किसी इमरजेंसी में रुकना पड़े तो हेजार्ड लाइट जरूर ऑन करें। चलते समय हेजार्ड लाइट जलाकर ड्राइव न करें, क्योंकि इससे पीछे आने वाले ड्राइवर को यह समझ नहीं आता कि गाड़ी चल रही है या खड़ी है। अचानक मोड़ लेने से बचें और कम से कम 10 सेकेंड पहले इंडिकेटर देकर इरादा साफ कर दें।
घना कोहरा सिर्फ मौसम की परेशानी नहीं, बल्कि सीधा जान का खतरा बन सकता है। थोड़ी सी सावधानी, सही स्पीड और धैर्य से न सिर्फ आप खुद सुरक्षित रह सकते हैं, बल्कि दूसरों की जान भी बचा सकते हैं। सर्दियों में सड़क पर निकलते वक्त यह याद रखना बेहद जरूरी है कि मंजिल से ज्यादा जरूरी सुरक्षित पहुंचना है।


