रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसंबर 2025 में अपने दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। इन दो वर्षों को अगर एक वाक्य में समेटा जाए, तो यह कहा जा सकता है कि साय सरकार ने शासन को कागज़ों और फाइलों से निकालकर सीधे जनता के जीवन से जोड़ा है। चुनावी वादों को महज भाषणों तक सीमित रखने के बजाय सरकार ने उन्हें प्राथमिकता के साथ लागू किया और ऐसे फैसले लिए, जिनका असर गांव-गांव और शहर-शहर साफ दिखाई देने लगा है। विकास अब किसी रिपोर्ट का विषय नहीं, बल्कि आम लोगों का अनुभव बन चुका है।
इस कार्यकाल की सबसे मजबूत पहचान किसान-केंद्रित नीतियों के रूप में उभरी है। साय सरकार ने कृषि को अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानते हुए धान उत्पादक किसानों को ₹3,100 प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य देकर राष्ट्रीय स्तर पर एक स्पष्ट संदेश दिया। प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी की सीमा तय कर किसानों को आय की स्थिरता दी गई। वर्ष 2023–24 में 14.49 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई, जिससे 24.75 लाख किसानों को सीधा लाभ मिला। इसके साथ ही पूर्व वर्षों का ₹3,716 करोड़ बोनस और ₹13,320 करोड़ की अंतर राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंची। इन फैसलों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी और बाजारों में क्रय शक्ति को मजबूती दी।
महिला सशक्तिकरण के मोर्चे पर महतारी वंदन योजना साय सरकार की सबसे बड़ी पहचान बनकर सामने आई। इस योजना के जरिए करीब 70 लाख महिलाओं को हर महीने ₹1,000 की सीधी आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब तक ₹14,000 करोड़ से अधिक की राशि महिलाओं के खातों में ट्रांसफर हो चुकी है। इसका असर सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी दिखा है। महिलाएं अब घरेलू खर्च, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य से जुड़े फैसलों में अधिक आत्मनिर्भर हुई हैं, खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में इसका प्रभाव गहराई से महसूस किया जा रहा है।
भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए भी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा का मजबूत आधार तैयार किया। दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर कल्याण योजना के तहत 5.62 लाख से अधिक मजदूरों को सालाना ₹10,000 की सहायता दी जा रही है। इस योजना पर ₹562 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए हैं, जिससे वर्षों से असुरक्षा में जी रहे मजदूर परिवारों को राहत और सम्मान दोनों मिला है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में साय सरकार की नीति केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि विकास को उसका स्थायी समाधान माना गया। बीते दो वर्षों में 400 से अधिक नक्सल प्रभावित गांवों तक सड़क, बिजली, राशन दुकान, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और मोबाइल नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई गईं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति लागू कर उन्हें ₹10,000 मासिक सहायता, कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर दिए गए। इसका परिणाम यह हुआ कि इन क्षेत्रों में भरोसे और शांति का माहौल धीरे-धीरे मजबूत हुआ।
ग्रामीण जीवन को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए परिवहन और कनेक्टिविटी पर भी विशेष ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना के विस्तार के तहत दूसरे चरण में 180 नए गांवों को सार्वजनिक परिवहन से जोड़ा गया, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक पहुंच आसान हुई और ग्रामीण क्षेत्रों की निर्भरता कम हुई।
शिक्षा और युवा नीति को भविष्य की नींव मानते हुए सरकार ने कई नए कदम उठाए। बच्चों के अधिकार और संरक्षण के लिए राज्य में पहली बार पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया गया। खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को ₹1.95 करोड़ से अधिक की प्रोत्साहन राशि दी गई, जिससे युवाओं में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास मजबूत हुआ।
राज्य की बड़ी आदिवासी आबादी को ध्यान में रखते हुए आदिवासी विकास बजट में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई। शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और बुनियादी ढांचे पर विशेष निवेश कर दूरस्थ अंचलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया, जिससे समावेशी विकास की अवधारणा को वास्तविक रूप मिला।
आर्थिक मजबूती के लिए साय सरकार ने ₹35,000 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया और “छत्तीसगढ़ अंजोर विज़न @2047” के माध्यम से अगले 25 वर्षों का स्पष्ट रोडमैप सामने रखा। इस विज़न में उद्योग, रोजगार, ऊर्जा और सुशासन को केंद्र में रखकर राज्य के दीर्घकालिक विकास की दिशा तय की गई है।
सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर प्रदेशभर में प्रेस कॉन्फ्रेंस, जनसंवाद कार्यक्रम, लाभार्थी सम्मेलन और विशेष प्रदर्शनी आयोजित की गईं। इन आयोजनों का उद्देश्य केवल उपलब्धियों का प्रदर्शन नहीं, बल्कि जनता से संवाद और भविष्य की कार्ययोजना साझा करना था। जिला स्तर पर “सरकार आपके द्वार” जैसे कार्यक्रमों में लाभार्थियों ने खुद मंच से अपने अनुभव साझा किए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि योजनाओं का असर आंकड़ों से आगे बढ़कर लोगों के जीवन में दिखाई दे रहा है।
इन दो वर्षों का सबसे बड़ा संदेश यही रहा कि साय सरकार ने वादों को प्राथमिकता, योजनाओं को पारदर्शिता और विकास को धरातल से जोड़ा है। यहां योजनाएं सिर्फ घोषणाएं नहीं रहीं, लाभार्थी सिर्फ आंकड़े नहीं बने और विकास फाइलों से निकलकर जमीन पर उतरता नजर आया।