लगातार तीन कारोबारी सत्रों तक दबाव में रहने के बाद शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार ने जोरदार वापसी की। अमेरिकी महंगाई के नरम आंकड़ों, रुपये में मजबूती और विदेशी निवेशकों की दोबारा खरीदारी से बाजार की धारणा सुधरी और निवेशकों का भरोसा लौटता दिखा। दोपहर 2:30 बजे तक सेंसेक्स करीब 478 अंक यानी 0.57 फीसदी की तेजी के साथ 84,960 के आसपास कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 155 अंक चढ़कर 25,970 के पार पहुंच गया।
ब्रॉडर मार्केट में भी रिकवरी साफ नजर आई। बीएसई पर लिस्टेड कुल शेयरों में से 2000 से ज्यादा शेयरों में तेजी रही, जबकि करीब 1000 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। इससे यह संकेत मिला कि खरीदारी केवल चुनिंदा दिग्गज शेयरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि बाजार में व्यापक आधार पर लौटी।
इस तेजी की सबसे बड़ी वजह अमेरिका से आए महंगाई के आंकड़े रहे। नवंबर में अमेरिकी उपभोक्ता महंगाई दर सालाना आधार पर 2.7 फीसदी रही, जो सितंबर के 3 फीसदी के स्तर से नीचे है। इन आंकड़ों के बाद यह उम्मीद मजबूत हुई कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व आने वाले महीनों में ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। कम ब्याज दरों का सीधा फायदा उभरते बाजारों को मिलता है, क्योंकि इससे डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड पर दबाव आता है और निवेशक भारत जैसे बाजारों की ओर रुख करते हैं।
एशियाई बाजारों से भी भारतीय शेयर बाजार को मजबूत सपोर्ट मिला। जापान का निक्केई इंडेक्स करीब 1.3 फीसदी चढ़ा, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.8 फीसदी मजबूत रहा। वहीं एमएससीआई एशिया-पैसिफिक इंडेक्स और चीन के ब्लूचिप शेयरों में भी अच्छी बढ़त देखने को मिली, जिससे ग्लोबल सेंटिमेंट पॉजिटिव बना।
घरेलू स्तर पर रुपये की मजबूती ने भी बाजार को सहारा दिया। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार तीसरे दिन मजबूत हुआ और 90.15 के स्तर पर खुला। पिछले तीन दिनों में रुपये में करीब एक फीसदी से ज्यादा की मजबूती दर्ज की गई है। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक आरबीआई के संभावित हस्तक्षेप, कॉरपोरेट डॉलर इनफ्लो और कमजोर डॉलर के कारण रुपये को सपोर्ट मिला, जिसका असर सीधे शेयर बाजार की धारणा पर पड़ा।
संस्थागत निवेशकों की गतिविधि ने भी रिकवरी को मजबूती दी। 18 दिसंबर को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने करीब 600 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग 2,700 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। जानकारों का मानना है कि अगर अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला जारी रहता है, तो आने वाले समय में भारत में विदेशी निवेश और बढ़ सकता है।
सेक्टोरल स्तर पर आईटी और फार्मा शेयरों ने बाजार को लीड किया। अमेरिकी आईटी कंपनी एक्सेंचर के बेहतर नतीजों से भारतीय आईटी शेयरों में नई जान आई और इंफोसिस, टीसीएस व विप्रो जैसे दिग्गज शेयर हरे निशान में रहे। फार्मा सेक्टर में भी करीब 1.3 फीसदी की तेजी देखी गई। अमेरिका के डिफेंस बिल में शामिल बायोसिक्योर एक्ट से सप्लाई चेन के चीन से बाहर शिफ्ट होने की संभावना जताई जा रही है, जिसका फायदा भारतीय फार्मा और सीडीएमओ कंपनियों को मिल सकता है।
कुल मिलाकर, ग्लोबल संकेतों में सुधार, रुपये की मजबूती और मजबूत संस्थागत खरीदारी ने मिलकर तीन दिन की गिरावट के बाद बाजार में रिकवरी की नींव रखी है। हालांकि आगे की दिशा अमेरिकी फेड की नीति और वैश्विक आर्थिक संकेतों पर काफी हद तक निर्भर करेगी।