अब तक आम धारणा यही रही है कि हार्ट अटैक तभी होता है, जब दिल की धमनियों में ब्लॉकेज हो। लेकिन मेडिकल साइंस की नई समझ इस सोच को चुनौती दे रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कुछ मामलों में बिना किसी रुकावट के भी दिल का दौरा पड़ सकता है। इस स्थिति को MINOCA कहा जाता है, यानी मायोकार्डियल इन्फार्क्शन विद नो ऑब्सट्रक्टिव कोरोनरी आर्टरी डिजीज।
आज के समय में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि अब सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा और मध्यम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक, एंजाइना और हार्ट फेलियर जैसी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। आमतौर पर इसके लिए हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और धमनियों में जमी चर्बी को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन MINOCA इन सभी से अलग और ज्यादा जटिल स्थिति है।
MINOCA में मरीज को हार्ट अटैक जैसे सभी लक्षण दिखाई देते हैं—सीने में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ, घबराहट, पसीना आना—लेकिन जब एंजियोग्राफी की जाती है, तो दिल की धमनियां लगभग सामान्य पाई जाती हैं। यानी ब्लॉकेज नहीं होता, फिर भी दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंच चुका होता है। यही वजह है कि कई बार इस स्थिति की सही पहचान नहीं हो पाती और इलाज में देरी हो जाती है, जो मरीज के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है।
आमतौर पर हार्ट अटैक को एथेरोस्क्लेरोसिस से जोड़ा जाता है, जिसमें फैट, कोलेस्ट्रॉल और कैल्शियम मिलकर धमनियों में जमा हो जाते हैं और दिल तक खून का प्रवाह रुक जाता है। लेकिन MINOCA में मामला अलग होता है। यहां समस्या बड़ी धमनियों में नहीं, बल्कि छोटी रक्त नलिकाओं के काम न करने, नसों में अचानक ऐंठन आने या कुछ समय के लिए खून का बहाव रुक जाने से पैदा हो सकती है।
डॉक्टरों के अनुसार, कई बार अत्यधिक मानसिक तनाव या भावनात्मक झटके से भी दिल अस्थायी रूप से कमजोर पड़ सकता है। इसे आम भाषा में “ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम” कहा जाता है। इसके अलावा, माइक्रोवैस्कुलर डिसफंक्शन यानी दिल की बेहद बारीक नसों का सही तरह से काम न करना भी MINOCA का कारण बन सकता है।
इलाज के मामले में MINOCA को हल्के में लेना बड़ी गलती हो सकती है। इसकी वजह के अनुसार डॉक्टर दवाओं के जरिए रक्त प्रवाह सुधारने, नसों की ऐंठन कम करने और तनाव नियंत्रित करने पर ध्यान देते हैं। विशेषज्ञों का साफ कहना है कि यह मान लेना गलत है कि हार्ट अटैक सिर्फ ब्लॉकेज से ही होता है।
निष्कर्ष यही है कि अगर हार्ट अटैक जैसे लक्षण महसूस हों, तो सिर्फ एंजियोग्राफी के नतीजों से संतुष्ट न हों। समय पर सही जांच और इलाज ही जान बचा सकता है, क्योंकि बिना ब्लॉकेज वाला हार्ट अटैक भी उतना ही खतरनाक हो सकता है।