Gurugram News: गुरुग्राम में अरावली पहाड़ियों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। अरावली की नई परिभाषा के खिलाफ नाराज़गी अब सड़कों पर दिखने लगी है। हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के घर के बाहर पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने एकजुट होकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। हाथों में बैनर और पोस्टर लिए प्रदर्शनकारियों ने “अरावली बचाओ, भविष्य बचाओ” जैसे नारे लगाए और सरकार से फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि हाल में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला अरावली के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। उनके मुताबिक इस निर्णय से बड़ी संख्या में पहाड़ी इलाके संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगे, जिससे खनन और निर्माण गतिविधियों को खुली छूट मिल सकती है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि अरावली क्षेत्र पहले ही अवैध खनन, निर्माण और अंधाधुंध दोहन की मार झेल रहा है, जिसका सीधा असर पर्यावरण, जलस्तर और वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
दरअसल 20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा तय की थी। इसके अनुसार अब अरावली वही भू-आकृति मानी जाएगी जिसकी ऊंचाई कम से कम 100 मीटर हो। इस फैसले के बाद 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियां और उनसे जुड़े इलाके कानूनी संरक्षण से बाहर हो सकते हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे अरावली का बड़ा हिस्सा असुरक्षित हो जाएगा और वहां खनन व रियल एस्टेट गतिविधियों के रास्ते खुल सकते हैं।
प्रदर्शनकारियों ने याद दिलाया कि अरावली पर्वतमाला देश की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है और यह दिल्ली-एनसीआर के लिए एक प्राकृतिक ढाल की तरह काम करती है। यह थार रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल को रोकती है और पूरे क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। लोगों का कहना है कि नई परिभाषा लागू होने पर अरावली का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा खतरे में आ सकता है, जिससे मरुस्थलीकरण, भूजल स्तर में गिरावट और जल संकट जैसी समस्याएं और गंभीर हो जाएंगी।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने चेतावनी दी कि अगर अरावली का संरक्षण कमजोर पड़ा, तो दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के इलाकों में प्रदूषण कई गुना बढ़ सकता है। उनका साफ कहना है कि अरावली सिर्फ पहाड़ों की श्रृंखला नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा है। इसी वजह से प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि पूरी अरावली को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए और किसी भी तरह के खनन या निर्माण पर सख्त रोक लगाई जाए।