Mercedes Price Hike: 2026 से हर तीन महीने में महंगी होंगी मर्सिडीज कारें, रुपये की कमजोरी बनी वजह

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लग्ज़री कार निर्माता Mercedes-Benz India भारतीय बाजार में कीमतों को लेकर बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। कंपनी 2026 कैलेंडर ईयर से हर तिमाही यानी हर तीन महीने में अपनी कारों की कीमतों में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। इस बारे में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ संतोष अय्यर ने जानकारी दी है। उनका कहना है कि यह फैसला यूरो के मुकाबले रुपये के लगातार कमजोर रहने से पड़ने वाले दबाव को संतुलित करने के लिए लिया जा रहा है। इससे पहले कंपनी 1 जनवरी 2026 से अपने मॉडलों की कीमतों में करीब 2 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का ऐलान कर चुकी है, जो भारतीय बाजार में अपनी तरह का पहला कदम माना जा रहा है।

कंपनी के अनुसार कीमतों में यह संशोधन विदेशी मुद्रा से जुड़ी चुनौतियों को दर्शाता है। वर्ष 2025 के दौरान यूरो-रुपया विनिमय दर लगातार 100 रुपये के स्तर से ऊपर बनी रही है, जो इसके ऐतिहासिक औसत से काफी अधिक है। इसी पृष्ठभूमि में एफआईसीसीआई मर्सिडीज-बेंज इंडिया इनोवेशन बिजनेस आइडिया चैलेंज कार्यक्रम के लॉन्च के मौके पर संतोष अय्यर ने स्पष्ट किया कि अगले साल हर तिमाही में कीमतें बढ़ाने का विचार इसी मुद्रा दबाव का नतीजा है।

रुपये की कमजोरी को उन्होंने इस फैसले का सबसे बड़ा कारण बताया। अय्यर के मुताबिक करीब 18 महीने पहले एक यूरो की कीमत लगभग 89 रुपये थी, जो अब बढ़कर 104–105 रुपये के आसपास पहुंच चुकी है। इसका मतलब है कि रुपये में 15 से 18 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। कंपनी का मानना है कि इतनी बड़ी गिरावट को एक बार में समायोजित करना संभव नहीं है, इसलिए जनवरी 2026 की शुरुआती बढ़ोतरी के बाद आगे भी चरणबद्ध तरीके से कीमतें बढ़ाई जाएंगी।

अय्यर ने यह भी संकेत दिया कि रुपये में आई गिरावट और कारों की कीमतों में की जा रही बढ़ोतरी के बीच अभी भी 10 से 15 प्रतिशत का अंतर बना हुआ है। इसी वजह से कंपनी धीरे-धीरे कीमतें बढ़ाने की रणनीति अपना रही है, ताकि एक साथ भारी इजाफा करने से बाजार की मांग पर नकारात्मक असर न पड़े। हालांकि 2026 की हर तिमाही में होने वाली बढ़ोतरी का सटीक प्रतिशत अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन संकेत हैं कि यह हर बार लगभग 2 प्रतिशत के आसपास हो सकता है। कुल मिलाकर, मर्सिडीज-बेंज इंडिया की यह रणनीति बढ़ती लागत और मुद्रा दबाव के बीच संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है, जिसका असर सीधे तौर पर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा।

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